एक छोटे से बच्चे ने अपने पिता के पास जाकर कहा—
‘ मुझे दो रूपये दो।’ क्या करोगे? ‘पिता ने पूछा।’
‘लॉटरी का टिकट खरीदूँगा।’ बच्चे ने जवाब दिया ‘लॉटरी निकल आई तो मुझे कितना दोगे ? पिता ने सहजभाव से पूछा। ‘ आपके दो रूपये वापस कर दूँगा।’ बच्चे ने पूरी ईमानदारी के साथ कहा। छोटा बच्चा भी पैसे के मोह से दूर नहीं है ।
इसका कारण है— वह अर्थासक्ति के वातावरण में उच्छ्वास लेता है।