किसी नगर में सोहन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह रोज ऑफिस से घर लौटने के बाद अपने इकलौते बेटे के साथ कुछ देर खेल—कूद में वक्त बिताता । एक दिन उसके पास ऑफिस में ज्यादा काम था, लिहाजा वह कुछ काम घर लेकर भी आ गया। उसे अगले दिन तक यह काम हर हाल में पूरा करके देना था, लिहाजा वह घर आते ही उसे पूरा करने में जुट गया। उधर बेटा भी रोज की तरह साथ में खेलने की जिद कर रहा था। सोहन को लगा कि बेटे को किसी दूसरे काम में उलझा दिया जाए। यह सोचकर उसने इधर—उधर नजर दौड़ाई। तभी उसे एक पत्रिका के कवर पर दुनिया का नक्शा नजर आया। सोहन ने उस पत्रिका का कवर निकाला और उस पर बने दुनिया के नक्शे के छोटे—छोटे टुकड़े कर दिए। इसके बाद इन टुकड़ों को अपने बेटे को देते हुए उसने कहा कि इन्हें दोबारा जोड़कर लाए, फिर वह उसके साथ जरूर खेलेगा। सोहन को लगा था कि उसके बेटे को इस काम में कम से कम एक घंटे का तो वक्त लगेगा, तब तक वह अपना काम भी निपटा लेगा। मगर पंद्रह मिनट ही बीते थे कि उसका बेटा फिर उसके पास हाजिर था। यह देखकर सोहन ने उससे कहा तुमसे कहा था न कि पहले नक्शा जोड़कर लाओ, उसके बाद मैं तुम्हारे साथ खेलने चलूंगा। यह सुनकर बेटा बोला— मैंने नक्शा जोड़ लिया है, पिताजी। क्या अब हम खेलने चल सकते हैं? सोहन ने बेटे के हाथ से पेज लेकर देखा तो वास्तव में नक्शे का हरएक पीस बिल्कुल सही जगह पर जोड़ा गया था। यह देखकर सोहन के मुख से निकला अद्भुत! यह तुमने कैसे किया ? बेटे ने कहा बहुत सरल था पिताजी पेज के पिछली ओर एक आदमी की तस्वीर बनी थी। जब मैनें आदमी के अंगों को एक साथ जोडा, दुनिया भी अपनी जगह पर आ गई। समस्या को हल करने के कई तरीके होते हैं , हमें बस यह देखना चाहिए कि सबसे सरल तरीका कौन सा है? और तरीका मिल जाये तो अपनाने में देर भी नहीं करना चाहिए।