

 right]]उत्तरप्रदेश में पूज्य माताजी का मंगल विहार गणेशपुर के उपरांत मवाना, परिक्षितगढ़, हापुड़, गुलावटी, बुलंदशहर, खुर्जा, रुकनपुर, अलीगढ़, सासनी, हाथरस होते हुए आगरा की तरफ हुआ। पूज्य माताजी संघ का ६ अप्रैल २०१५ को हरिपर्वत (आगरा) में प्रवेश हुआ, जहाँ ३ दिन पूज्य माताजी के सान्निध्य में विशाल संभाएं हुर्इं और भक्तों ने बढ़-चढ़कर पूज्य माताजी का अभिवादन करते हुए उनका खूब आशीर्वाद प्राप्त किया। यहाँ पर पूज्य माताजी का स्वास्थ्य कुछ गड़बड़ हो जाने से उन्होंने अतिरिक्त प्रवास किया, इसको देखकर सभी के मन में कुछ चिन्ता भी व्याप्त हो गई लेकिन भगवान के आशीर्वाद से पुन: पूज्य माताजी का नरम-गरम स्वास्थ के साथ विहार हुआ।
 left]]गोपाचल-ग्वालियर-पश्चात् १८ अप्रैल २०१५ को संघ ग्वालियर शहर के विनयनगर में पहुँचा, जहाँ अति उल्लास के साथ सम्पूर्ण ग्वालियर जैन समाज ने पूज्य माताजी ससंघ का प्रवेश कराया। ग्वालियर में लगभग १५ दिन तक प्रवास हुआ क्योंकि यहाँ पर लम्बे समय से भगवान पार्श्वनाथ जी की सवा १३ फुट उत्तुंग विशाल प्रतिमा का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव प्रतीक्षारत था। समस्त समाज को यह विश्वास था कि पूज्य माताजी के आगमन पर इस प्रतिमा का पंचकल्याणक अवश्य सम्पन्न होकर यथोचित सम्मान के साथ भगवान पूज्यनीय बन जायेंगे और ऐसा ही हुआ, पूज्य माताजी के आगमन पर समाज की इन भावनाओं को अवश्य ही आकार मिला व विनयनगर स्थित आर.जी.वी.टी. कॉलेज में २६ अप्रैल को भगवान पार्श्वनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का झण्डारोहण हुआ व २७ अप्रैल से लेकर १ मई २०१५ तक यह प्रतिष्ठा सानंद सम्पन्न हुई। अत्यन्त प्रभावना के साथ भगवान पार्श्वनाथ की यह प्रतिमा विनयनगर मेनरोड पर स्थित जिनमंदिर के प्रांगण में विराजमान की गई, जिसके दर्शन करके आज भी प्रतिदिन हजारों की संख्या में सड़क से निकलने वाले राहगीर तथा जैन श्रद्धालुजन पुण्यार्जन करते हैं।
 right]]इसके उपरांत २० मई को सोनागिरि से संघ का पुन: आगे की ओर विहार हुआ और छत्ता, समोहा, करैरा होते हुए २७ मई को शिवपुरी (म.प्र.) में पूज्य माताजी का भव्य मंगल प्रवेश हुआ। यहाँ आदिनाथ जिनालय में सर्वप्रथम सभा हुई पश्चात् महावीर जिनालय में संघ का प्रवेश एवं प्रवास रहा। शिवपुरी समाज में अत्यन्त उल्लास के साथ संघ का नगर के विभिन्न मंदिरों में भी भ्रमण हुआ और धर्मप्रभावना के साथ ३० मई को शिवपुरी से विहार होकर अतिशय क्षेत्र सेसई के उपरांत राजस्थान बॉर्डर में प्रवेश करते हुए नाका कोटा व देवरी के मार्ग पर किशनगंज होते हुए ७ जून को बारां (राज.) में संघ का प्रवेश हुआ।
 left]]चांदखेड़ी अतिशय क्षेत्र-बारां से आगे १० जून को पूज्य माताजी का प्रवेश चांदखेड़ी अतिशय क्षेत्र में हुआ। यहाँ भगवन्तों का दर्शन करके पूज्य माताजी आनंदित हुर्इं तथा वहाँ हुए विकास कार्य को देखकर जहाँ मन में प्रसन्नता हुई, वहीं कुछ वर्ष पूर्व तक भगवान आदिनाथ के गर्भगृह में विराजित उनके शासन देव-देवी गोमुख देव-चक्रेश्वरी देवी को नहीं देखकर अर्थात् उन्हें हटा दिया गया है, यह जानकर उन्हें अत्यन्त दु:ख भी हुआ। प्राचीनकाल से संरक्षित जैन पुरातत्त्व को नष्ट करने का यह दुष्प्रयास बहुत ही चिन्तनीय है। पूज्य माताजी ने आगम सम्मत प्रमाणों के आधार पर हम सभी को यह बताया है कि तिलोयपण्णत्ती जैसे महान प्राचीन ग्रंथ में श्रीयतिवृषभाचार्य ने चौबीसों तीर्थंकरों के शासन देव-देवियों का वर्णन करते हुए उन्हें सम्यग्दृष्टि लिखा है और सभी भगवान के समवसरण में वे शासन देव-देवी विद्यमान रहते हैं। देखो! बड़वानी-बावनगजा में चतुर्थकाल की निर्मित ८४ फुट उत्तुंंग ऋषभदेव प्रतिमा के आजू-बाजू में गोमुखदेव-चक्रेश्वरी देवी की प्रतिमा स्थापित होना इसका सबल प्रमाण है। अत: आर्षपरम्परा के संरक्षण हेतु भारतवर्षीय तीर्थक्षेत्र कमेटी एवं स्थानीय तीर्थों की कमेटियों को प्राचीन परम्पराओं में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करना चाहिए। इसके उपरांत १२ जून को झालरापाटन में भगवान शांतिनाथ जी के अत्यन्त सुन्दर मंदिर में भी प्रवेश करके वहाँ २ दिन का प्रवास हुआ। १४ जून को झालरापाटन से रायपुर, कालीतलाई, डेहरिया होते हुए १६ जून को पूज्य माताजी त्रिमूर्ति तीर्थ सुसनेर (म.प्र.) में पहुँची। यहाँ पूज्य माताजी के संघ आगमन की खुशी में तीर्थ के प्रेरणास्रोत आचार्यश्री दर्शनसागर जी महाराज इंदौर से विहार करके सुसनेर पहुँच चुके थे और उन्होंने पूज्य माताजी की सम्मानपूर्वक अगवानी की। यहाँ पर आचार्यश्री के सान्निध्य में विशाल धर्मसभा का आयोजन हुआ और १८ जून को आगे विहार करके आगर होते हुए संघ २२ जून को उज्जैन के जैन बोर्डिंग (प्रâीगंज) में पहुँचा। उज्जैन शहर में भी पूज्य माताजी ने नयापुरा, नमक मण्डी, जयसिंहपुरा, ऋषिनगर के विभिन्न मंदिरों में भ्रमण करके सम्पूर्ण समाज को ज्ञानलाभ प्रदान किया और २५ जून को मुनिश्री प्रज्ञासागर जी महाराज के आशीर्वाद से विकसित भगवान महावीर तपोभूमि तीर्थ पर प्रवेश हुआ।
 right]]इसी क्रम में दिनाँक २७ जून २०१५ को पूज्य माताजी संघ का मंगल प्रवेश मध्यप्रदेश के व्यवसायिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर महानगर में हुआ। सर्वप्रथम २७ व २८ जून को मल्हारगंज के उपरांत २९ जून को क्लर्क कालोनी व ३० जून को पूज्य माताजी संघ की भव्य अगुवानी सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज की ओर से कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परिसर, उदासीन आश्रम में हुई। इस अवसर पर महिला संगठन इंदौर की १००८ महिलाओं ने मंगल कलश, झांझ पत्तर, बैण्ड-बाजे व अनेक प्रेरक संदेश के बैनर लेकर पूज्य माताजी का कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ में प्रवेश कराया और हजारों की संख्या में सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज के भक्तजन उपस्थित रहे। यहाँ विराट धर्मसभा का आयोजन हुआ। आगे २ जुलाई को पूज्य माताजी का संघ सुदामानगर पहुँचा। पश्चात् ३ जुलाई को वैशाली नगर, पार्श्वनाथ नगर होते हुए जैन कालोनी (नेमिनगर) पहुँचा, ४ जुलाई को इन्द्रलोक कालोनी, रामचन्द्रनगर, कालानी नगर व अंजनी नगर में विशाल धर्मसभाएं हुर्इं व ५ जुलाई को स्मृतिनगर के उपरांत नवग्रह जिनालय (ग्रेटर बाबा) में दर्शन व रात्रि विश्राम हुआ। पश्चात् ६ जुलाई को बेटमा, घाटाबिल्लोद होते हुए ७ जुलाई को प्रकाशनगर में आहार के उपरांत सायंकाल धार शहर में पूज्य माताजी का भव्य मंगल प्रवेश हुआ। इसके उपरांत ८ जुलाई को धार में ही अहमदाबाद मेनरोड पर गुजरात संतकेसरी आचार्यश्री भरतसागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित मानतुंगगिरी तीर्थक्षेत्र (धार) पर पूज्य माताजी का प्रवेश हुआ। यह तीर्थ मानतुंगाचार्य द्वारा धारा नगरी में भक्तामर स्तोत्र की रचना की स्मृति में निर्मित किया गया है। यहाँ विशेषरूप से क्षुल्लिका श्री चन्द्रमती माताजी के निवेदन पर पूज्य माताजी का आगमन हुआ और उन्होंने धार नगरी के जिनमंदिर, अत्यन्त प्राचीन भोजशाला व मानतुंगगिरी तीर्थ का दर्शन करके मानतुंगाचार्य जी का गुणानुवाद किया।=