बेटी सावन मास की जैसे मस्त फुहार।
बेटी चंदन की महक, बेटी हरसिंगार।।
बेटी गंगा जमना का, जैसे पावन नीर।
बेटी उषा की किरन, बेटी प्रात: समीर।।
बेटी घर की चाँदनी, बेटी घर की शान।
बेटी ही रखती सदा, दो—दो घर की आन।।
बेटी कलिका बाग की, बानी मीठी तान।
बेटी बिन सूने लगें , घर, आंगन, दालान।।
बेटी सबकी लाडली , सद् उसका व्यवहार।
बेटी बिन ममता नहीं, राखी का त्यौहार।।
बेटी वेदों की ऋचा, बेटी लक्ष्मी रूप।
बेटी तो ऐसी लगे, ज्यों जाड़ों की धूप।।