आरती बीस जिनेश्वर की-२ विद्यमान श्री बीस तीर्थंकर,
पांच विदेहों की।।आरती.।।
जम्बूद्वीपादिक ढ़ाई, द्वीपों में पांच विदेहा।
हैं चार-चार पांचों में, होते तीर्थंकर देवा।।
आरती बीस……………..।।१।।
हैं आज भी उन क्षेत्रों में, विहरण करते तीर्थंकर।
इसलिए कहे जाते हैं, ये विहरमाण तीर्थंकर।।
आरती बीस……………..।।२।।
सीमन्धर आदिक उन ही, जिनवर की ये प्रतिमाएं।
कमलों पर राज रही हैं, ये बीसों जिनप्रतिमाएं।।
आरती बीस…………….।।३।।
उनका यह पावन मंदिर, है प्रथम बार इस भू पर।
गणिनी माँ ज्ञानमती की, प्रेरणा मिली है सुन्दर ।।
आरती बीस………………..।।४।।
इनकी आरति कर मैं भी, तीर्थंकर बनना चाहूं।
‘‘चंदना’’ प्रभू भक्ती से, साक्षात दर्श कर पाऊं।।
आरती बीस…………….।।५।।