ॐ जय अन्तर्यामी, स्वामी जय अन्तर्यामी।
सहस आठ गुणधारी, सिद्धिप्रिया स्वामी।।ॐ जय.।।टेक.।।
निज में निज हेतू ही, निज को जन्म दिया।
स्वामी…………
अत: स्वयम्भू कहकर, जग ने नमन किया।।ॐ जय.।।१।।
चार घातिया नाश अर्ध, नारीश्वर कहलाए।
स्वामी ईश्वर…….
जग के शांति विधाता, शंकर कहलाए।।ॐ जय.।।२।।
इन्द्र सहस्र नेत्रों से, तेरा दर्श करें।
स्वामी………………
नाम सहस्रों द्वारा, संस्तुति नृत्य करें।।ॐ जय.।।३।।
समवसरण के अधिपति, जिनवर की वाणी।।
स्वामी……….
गणधर मुनिगण नरपति, सबकी कल्याणी।।ॐ जय.।।४।।
जो प्रभु तेरे गुण की, आरति नित्य करें।
स्वामी…………..
वही ‘‘चंदनामती’’ जगत की, पीड़ा सर्व हरें।।ॐ जय.।।५।।