तर्ज—झुमका गिरा रे………….
आरति करो रे, श्री क्षेत्रपाल देवा की सब मिल आरति करो रे,
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे।।श्री…।।टेक.।।
विजय वीर मणिभद्र कहाते, आभा तेरी न्यारी है,
अपराजित भैरव भी नाम हैं, कूकर वाहन धारी हैं।
आरति करो…………..
सम्यग्दृष्टी देवा की सब मिल आरति करो रे।।१।।
देव शास्त्र गुरू आयतनों की, रक्षा में तुम तत्पर हो,
भूत-प्रेत की बाधा हरते, सकल सौख्य के पूरक हो।।
आरति करो…………..
धन सुख सम्पति दाता, देवा की आरति करो रे।।२।।
परम कृपाला, दीनदयाला, तेरी आरति को आए,
इच्छा सारी पूरी होगी, आश इन्दु मन में लाए।
आरति करो………….. संकटहर्ता, मंगलकर्ता की आरति करो रे।।३।।