गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा मूर्ति निर्माण की प्रेरणा
शरदपूर्णिमा, २६ अक्टूबर १९९६, मांगीतुंगी प्रवास
शिलापूजन
३ मार्च २००२
-द्वारा-
संघपति श्री महावीर प्रसाद जैन-
सौ. कुसुमलता जैन परिवार,
बंगाली स्वीट्स, दिल्ली।
विशेष उपस्थित-श्री कमलचंद जैन
खारीबावली, दिल्ली
‘‘अदम्य साहस के साथ जान हथेली पर लेकर रस्सों के सहारे इस कच्चे मार्ग से चिन्हित मूर्तिस्थल तक जाने का यह प्रारंभिक उपक्रम है। समिति ने इस मार्ग को भी प्रारंभिक रूप से स्वत: निर्मित किया।’’
‘‘इससे पूर्व वसुनंदि प्रतिष्ठापाठ आदि प्राचीन, मान्य ग्रंथों के आधार पर नवताल की मूर्ति निर्माण हेतु पेन्टर से सम्पूर्ण शिला पर वास्तविक माप के साथ मूर्ति का चित्र रेखांकित करवाया गया।’’