Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
भगवान अनंतनाथ वन्दना
January 18, 2020
कविताएँ
jambudweep
श्री अनंतनाथ वन्दना
नरेन्द्र छंद
श्री अनंत जिनराज आपने, भव का अंत किया है।
दर्शन ज्ञान सौख्य वीरजगुण, को आनन्त्य किया है।।
अंतक का भी अंत करें हम, इसीलिए मुनि ध्याते।
मन वच तन से भक्तिभाव से, प्रभु तुम गुण हम गाते।।१।।
बसंततिलका छंद
देवाधिदेव तुम लोक शिखामणी हो।
त्रैलोक्य भव्यजन वंज विभामणी हो।।
सौ इन्द्र आप पद पंकज में नमे हैं।
साधू समूह गुण वर्णन में रमे हैं।।२।।
जो भक्त नित्य तुम पूजन को रचावें।
आनंद कंद गुणवृंद सदैव ध्यावें।।
वे शीघ्र दर्शन विशुद्धि निधान पावें।
पच्चीस दोष मल वर्जित स्वात्मध्यावें।।३।।
नि:शंकितादि गुण आठ मिले उन्हीं को।
जो स्वप्न में भि हैं संस्मरते तुम्हीं को।।
शंका कभी नहिं करें जिनवाक्य में वो।
कांक्षें न ऐहिक सुखादिक को कभी वो।।४।।
ग्लानी मुनी तनु मलीन विषे नहीं है।
नाना चमत्कृति विलोक न मूढ़ता है।।
सम्यक्चरित्र व्रत से डिगते जनों को।
सुस्थिर करें पुनरपी उसमें उन्हीं को।।५।।
अज्ञान आदि वश दोष हुए किसी के।
अच्छी तरह ढक रहें न कहें किसी से।।
वात्सल्य भाव रखते जिनधर्मियों में।
सद्धर्म द्योतित करें रुचि से सभी में।।६।।
वे द्वादशांग श्रुत सम्यग्ज्ञान पावें।
चारित्रपूर्ण धर मनपर्यय उपावें।।
वे भक्त अंत बस केवलज्ञान पावें।
मुक्त्यंगना सह रमें शिवलोक जावें।।७।।
गणधर जयादिक पचास समोसृती में।
छ्यासठ हजार मुनि संयमलीन भी थे।।
थी सर्वश्री प्रमुख संयतिका वहाँ पे।
जो एक लाख अरु आठ हजार प्रमिते।।८।।
दो लाख श्रावक चतुर्लख श्राविकाएँ।
संख्यात तिर्यक् सुरादि असंख्य गायें।।
उत्तुंग देह पच्चास धनू बताया।
है तीस लाख वर्षायु मुनीश गाया।।९।।
‘‘सेही’’ सुचिन्ह तनु स्वर्णिम कांति धारें।
वंदूँ अनंत जिन को बहु भक्ति धारें।।
मैं नित नमूँ सतत ध्यान धरूँ तुम्हारा।
संपूर्ण दु:ख हरिये भगवन्! हमारा।।१०।।
हे नाथ! कीर्ति सुन के तुम पास आया।
पूरो मनोरथ सभी जो साथ लाया।।
सम्यक्त्व क्षायिक करो सुचरित्र पूरो।
कैवल्य ‘ज्ञानमति’ दे, यम पाश चूरो।।११।।
दोहा
तुम पद आश्रय जो लिया, सो पहुँचे शिवधाम।
इसीलिए तुम चरण में, करूँ अनंत प्रणाम।।१२।।
Tags:
Jain Poetries
Previous post
भगवान शीतलनाथ वन्दना
Next post
भगवान अरनाथ वन्दना
Related Articles
अनमेल संबंध
January 31, 2018
jambudweep
श्रीपाल का कुंकुमद्वीप में आगमन
February 12, 2017
jambudweep
परमात्मा तो तेरे अंदर है
October 26, 2014
jambudweep
error:
Content is protected !!