(२४)
२९ नवम्बर से ३ दिसम्बर २००३
भगवान मुनिसुव्रतनाथ जन्मभूमि राजगृही (नालंदा) में जिनमंदिर
निर्माण एवं साढ़े १२ फुट उत्तुंग भगवान मुनिसुव्रतनाथ प्रतिमा स्थापना।
(२५)
३ से ८ दिसम्बर २००३
भगवान महावीर निर्वाणभूमि पावापुरी में जिनमंदिर निर्माण एवं
११ फुट विशाल भगवान महावीर प्रतिमा की स्थापना।
(२६)
१९ नवम्बर २००४
में गणधर गौतम स्वामी की
निर्वाणभूमि गुणावां जी सिद्धक्षेत्र
में जिनमंदिर का निर्माण।
(२७)
सन् २००५-२००७ में
‘भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक
तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव’
का
६ जनवरी २००५ को बनारस में उद्घाटन
एवं
४ जनवरी २००८ को अहिच्छत्र
में समापन।
(२८)
१६ से २० जनवरी २००५
में संस्थान के सहयोग से
भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मभूमि
सिंहपुरी (सारनाथ) में
पूज्य माताजी ससंघ के सान्निध्य मेें
भगवान श्रेयांसनाथ की विशाल प्रतिमा का
भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(२९)
२ से ७ दिसम्बर २००५
में शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखर जी में
९ फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव की
पद्मासन प्रतिमा से समन्वित
सुन्दर कमल मंदिर का निर्माण।
(३०)
१४ से १६ अप्रैल २००६
में पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका
श्री ज्ञानमती माताजी के
‘आर्यिका दीक्षा स्वर्ण जयंती महोत्सव’
का राष्ट्रीय स्तर पर भव्य आयोजन।
(३१)
२७ अप्रैल से २ मई २००७
में तेरहद्वीप जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(३२)
१२ से १४ अक्टूबर २००८
में पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका
श्री ज्ञानमती माताजी के
हीरक जन्मजयंती महोत्सव का भव्य आयोजन।
इस शुभ अवसर पर स्थायी रूप से जम्बूद्वीप तीर्थ में एक रेल बनाकर तीर्थंकर जन्मभूमि हीरक जयंती एक्सप्रेस का निर्माण किया गया, जिसमें तीर्थंकर भगवन्तों की जन्मभूमियों को सुन्दर प्रदर्शनी के रूप में संजोया गया।
(३३)
२१ दिसम्बर २००८
को जम्बूद्वीप स्थल पर
पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी के
सानिध्य में महामहिम राष्ट्रपति
श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल द्वारा
‘विश्वशांति अहिंसा सम्मेलन‘
का उद्घाटन।