हाथी आया, हाथी आया, झूम—झूम कर हाथी आया। बच्चे, बूढ़े जवान सभी नाचने लगे, गाने लगे। हाथी का नाम तो सुना था पर उसे अभी तक देखा नहीं था क्योंकि उनके गांव में हाथी के दर्शन अभी तक किसी ने भी नहीं किये थे। उन पांचों ने भी सुना। उनकी भी इच्छा हुई हाथी को देखने की।
परन्तु कैसे देखें, अन्धे थे बेचारे। कुछ भी तो नहीं देख सकते थे। उनमें से एक बोला, ‘अरे भाई, दुखी मत हो। हम हाथी को देख तो नहीं सकते, परन्तु छूकर जान तो सकते ही हैं, और अनुमान लगा सकते हैं कि हाथी कैसा होता है। भैया हमें भी ले चलो न अपने साथ हाथी देखने, उन्होंने प्रार्थना की और कोई भला—मानुस उन्हें हाथ पकड़ कर ले गया।
पांचों अन्धे अपने—अपने हाथों से टटोलने लगे हाथी को। एक के हाथ में आ गया हाथी का पैर, खुशी से उछला वह और चिल्लाया, देखो, देखों, हाथी खम्भे जैसा ही होता है। दूसरे के हाथ में आया हाथी का कान। वह बोला, तू तो बिल्कुल गलत कहता है हरे हाथी तो होता है छाज जैसा ही बड़ा चौड़ा—चौड़ा। तीसरे ने पकड ली थी हाथी की पूंछ। वह कहने लगा, तुम तो कोरे बुद्धू हो ।
अरे हाथी न खम्भे जैसा होता है न छाज जैसा, वह तो रस्सी ही जैसा होता है, लम्बा—लम्बा। चौथे अन्धे के हाथ में थी हाथी की सूँड। वह तपाक से बोला, क्या बकते हो तुम सब ? हाथी तो बल्ली जैसा ही होता है, देख लो न इधर आकर। पांचवे ने छुआ था पेट। सब की बात काटते हुए वह बोला, तुम बेचारे तो निरे मूर्ख हो। हाथी होता है ढोल जैसा ही गोल—मटोल ।
सब अपनी—अपनी बात को ही सही मानते हुए दूसरे की बात बिल्कुल गलत बता रहे थे। पांचों में तू—तू, मैं—मैं होने लगी। नौबत यहां तक आ गई कि सब हाथा—पाई पर उतर आये। सब गुत्थम—गुत्था होने लगे पांचों ही आपस में । भाई क्यों लड़ रहे हो आपस में ? मामला क्या है ? एक वृद्ध व्यक्ति आया और उनसे पूछा । सब अपनी—अपनी बात सही बताते हुए दूसरे की बातों को बिल्कुल गलत कहने लगे ।
उस वृद्ध ने उत्तर दिया, भैया, तुम लोगों में से किसी की भी बात पूर्णतया झूठी नहीं है। हाथी खम्भे के समान भी है, छाज जैसा भी है, रस्सी से भी मिलता—जुलता है, बल्ली से भी मेल खाता है और ढोल जैसा भी कहा जा सकता है। तुम लोगों की बातें अलग—अलग दृष्टिकोणों से सही है। यदि तुम्हारी सब बातों को इक्ट्ठा कर लिया जाये, यानि सभी दृष्टिकोण को मिला लिया जाये तो पूरा हाथी तुम्हारे दिमाग में आ जायेगा और तुम समझ जाओगे कि हाथी कैसा होता है।
यदि तुम अपने—अपने कथन में जो ‘ही’ शब्द प्रयोग कर रहे हो उसके बजाय ‘भी’ प्रयोग कर लो तो सारा झगडा एक मिनट में सुलझ जायेगा। तुमने हाथी के एक—एक अंग को छूकर जाना है। इसलिए तुम्हारी सबकी बात आंशिक सच्ची होते हुए भी अधूरी होने के कारण हाथी का पूरा ज्ञान कराने में असमर्थ है। सबकी बात मिला लो, हाथी को जान लो, झगडा निबटा लो। और उन पांचों की समझ में बात आ गई। झगड़ा निपट गया।