हे सरस्वती माता, अज्ञान दूर कर दो।
जग को देकर साता, विज्ञान पूर भर दो।। टेक.।।
श्रुत का भण्डार भरा, तेरे ज्ञान की गंगा में।
जन मन शृंगार करा, गुरुवर मुनि चन्दा ने।।
शृंगार सहित माता, श्रुतज्ञान पूर्ण कर दो।
जग को देकर साता, विज्ञान पूर भर दो।।१।।
प्रभु वीर की वाणी सुन, गणधर ने संवारा है।
मुनिगण उस पथ पर चल, निज ज्ञान सुधारा है।।
निज ज्ञान किरणदाता, आलोक ज्ञान भर दो।
जग को देकर साता, विज्ञान पूर भर दो।।२।।
चंदन चंदा गंगा, तन शीतल कर सकते।
मुक्ता मालाएँ भी, निंह मन को हर सकते।।
‘चंदनामती’ सबको, शारद माँ का वर दो।
जग को देकर साता, विज्ञान पूर भर दो।।३।।