इस गौरवशाली भारत की, संस्कृति का नाम अहिंसा है।
लेकिन कलियुग के कारण इसमें, पनप रही अब हिंसा है।।
हर प्राणी की जीवन रक्षा, कर्तव्य सभी का बनता है।
यह जीवनदान कथानक इक, धीवर की गाथा कहता है।।१।।
कैसे इक मांसाहारी धीवर, का जीवन ही बदल गया।
इक परम तपस्वी मुनिवर ने, उसको शिवमार्गी बना दिया।।
ले लिया नियम जब धीवर ने, नवकार मंत्र को जपने का।
औ जाल में पहली मछली जो, आएगी उसे न मारूँगा।।२।।
पहली मछली आई धीवर ने, वस्त्र बांधकर छोड़ दिया।
फिर पूरे दिन में पाँच बार, उसको ही जीवनदान दिया।।
इस पुण्य से अगले भव में उसने, पाँच बार जीवन पाया।
उसका जीवन हरने वाले ने, खुद का जीवन खो डाला।।३।।
यह सत्य कथानक हर प्राणी को, रोमांचित कर देता है।
औ धर्म अहिंसा पालन करने, की शिक्षा भी देता है।।
तुम सुनो बंधुओं! शास्त्र-पुराणों में यह वर्णन आता है।
जीवन का दान सभी दानों में, सर्वश्रेष्ठ कहलाता है।।४।।
जैसे हमको अपना जीवन, प्राणों से प्यारा लगता है।
वैसे हर प्राणी पूर्ण आयु, जीने की इच्छा रखता है।।
तुम स्वयं पढ़ो इस सत्य कथा को, और पढ़ाओ अन्यों को।
जीवन परिवर्तित करो ‘‘सारिका’’, फिर कल्याण सभी का हो।।५।।