भगवान महावीर केवलज्ञान भूमि जृम्भिका (जमुई) (बिहार) तीर्थ परिचय
बिहार के अधिका ग्राम (वर्तमान में अमूई ग्राम) में ऋजुकूला नदी के तट पर भगवान महावीर स्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की पावन प्रेरणा एक मंगल आशीर्वाद से स्वस्तिश्री पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के सान्निध्य में जमूई ग्राम में छोटी सी पहाड़ी के ऊपर भगवान महावीर की सवा 11 फुट की पद्मासन प्रतिमा विराजमान कराई गई है। प्रतिमा विराजमान करने का पुण्यजन श्री अनिल कुमार जैन प. प. श्रीमती अनीता जैन, कमल मंदिर प्रीतिविहार, दिल्ली को प्राप्त हुआ। जिसका पंचकल्याणक 5 मई 2014 को झण्डारोहणपूर्वक प्रारंभ किया गया एवं क्रम से पाँचों कल्याणक को मनाते हुए दिनाँक 9 मई 2014 को भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा को प्रतिष्ठित करके महामस्तकाभिषेक समपच किया गया।
छोटी से पहाड़ी पर अब यह एक नया एवं मनोरम तीर्थ विकसित हो गया है, जहाँ सम्मेदशिखर से लौटते हुए यारपुर कुण्डलपुर तीर्थ के मध्य आने वाले सभी यात्रियों को भगवान महावीर की केवलज्ञान भूमि का महत्व मालूम होगा तथा सभी भक्तजन अति सुन्दर भगवान महावीर की इस विशाल प्रतिमा का दर्शन करके अपने सम्यदर्शन को दूर कर सकेंगे। यह तीर्थ सभी भक्तों व साधु संतों के मोक्षमार्ग में विशेष निमित्त बने और सभी को सदियों तक इस महत्वपूर्ण केवलज्ञान कल्याणक भूमि की वंदना का अवसर प्राप्त होता रहे, यही पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की विशेष मंगल भावना है।