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अथ श्रीगोमुखयक्षपूजाविधानम्!

June 5, 2020जिनेन्द्र भक्तिjambudweep

अथ श्रीगोमुखयक्षपूजाविधानम

सव्येतरोर्ध्वकरदीप्रपरस्वधाक्ष,
सूत्रं तथाधरकरांकफलेष्टदानम् ।।
प्राग्गोमुखं वृषमुखं वृषभं वृषांकम् ,
भत्तं यजे कनकभं वृषचक्रशीर्षम् ।।१।। ।।
इति पूजाप्रतिज्ञापनाय पुष्पाजंलिं क्षिपेत् ।।
चतुर्भुजः सुवर्णाभः सुमुखो वृषवाहनः।
हस्ते च परशुं धत्ते बीजपूराक्षसूत्रकम् ।।
वरदानपरः सम्यग् धर्मचक्रं च मस्तके।
संस्थाप्यो गोमुखोयक्ष आदिदेवस्य दक्षिणे।।
 
ॐ आं क्रों ह्रीं सुवर्णवर्ण सर्वलक्षणसम्पूर्ण स्वायुधवाहनवधूचिन्हसपरिवार जिनधर्मरक्षक सन्मार्गप्रतिपालक श्रीनाभिनंदनसेवक धनधान्यवृद्धिकारक हे श्रीगोमुखयक्षेश्वर! अत्र आगच्छ आगच्छ।
 
इत्यादि। स्थापनम् ।।
 
अथ वलयः (नैवेद्य चढ़ावें)
 
१. ॐ गोमुखयक्षाय स्वाहा
२. गोमुखपरिजनाय स्वाहा
३. गोमुखअनुचराय स्वाहा
४. गोमुखमहत्तराय स्वाहा
५. अग्नये स्वाहा
६. अनिलाय स्वाहा
७. वरुणाय स्वाहा
८. प्रजापतये स्वाहा
९. ॐ स्वाहा
१०. भूःस्वाहा
११. भुवः स्वाहा
१२. स्वः स्वाहा
१३. ॐ भूर्भुवः स्वाहा
१४. स्वधा स्वाहा।
 
अथाष्टकम्ती
 
र्थसमुद्भव वार्धिसुनीरैः, कांचनकुंभ समुद्धृतधारैः।
सं यजामि वर विघ्नविनाशं, गोमुखेश रत्नत्रयवासम् ।।
 
ॐ आं क्रों ह्रीं श्रीगोमुखयक्षेश्वर! जलं गृहाण गृहाण।।१।।
 
जलम् कुंकुमचंद्रकलापविशुद्धैः,
सौरभशुद्धविशुद्ध सुगंधै।।सं.२।।
 
गंधम् मुक्तिसुवचनामृतसुशीलैः,
शालिजतंडुलपुंजविशालैः ।।सं.३।।
 
अक्षतानि श्रीनयनाभसुसौरभसारैः,
कल्पतरूद्भवपुष्पसुवारैः।।सं.४।।
 
पुष्पाणि शारदशुभ्रशशांकसुदक्षैः,
स्वादरसोत्कटचारुसुभक्ष्यैः ।।सं.५।।
 
चरुम् ध्वस्ततमःश्रयकांतिप्रतापैः,
रत्नसमुद्भवदीप्रसुदीपैः।।सं.।।६।।
 
दीपम् कृष्णागुरुघनसारविमिश्रैः,
देवदारुतरुसंभवधूपैः।।सं.।।७।।
 
धूपम् गंधरूपमधुरैः पृथुपिंडै,
राम्रकम्रफलवृंदसुचंडैः।।सं.।।८।।
 
फलानि अपमृत्वादिनिवारणदक्षैः,
परिधानमुत्तरीयक्षौमकै:।।सं.।।९।।
 
सद्वस्त्रम् गुणभूषणसुसिद्धसुप्राप्त्यैः,
नवरत्नान्वितक्षेमसुभूषैः।।सं.।।१०।।
 
आभरणम् नीरगंधसुशालितंडुल पुष्पचारुचरुत्करैः,
दीपधूपफलार्घ्यकै: वरस्वर्णपात्रविनिर्मितैः।
 
भव्यजीवविशिष्टदायकनायकंस्वपरान्वितं,
पूजयामिजिनेन्द्रपंकजयुग्मसद्यदरंजितं।
 
ॐ आं….अर्घ्यं गृहाण गृहाण।।११।।यस्यार्थ.
 
इत्यादि। शांतिधारां।।
पुष्पांजलि क्षिपेत् ।
 
श्री आदिनाथ चरणाम्बुज चंचरीकः चक्रेश्वरी भजति यस्य सुवामभागम् रोगाद्युपद्रवसमूहविनाशदक्षम् ।
सम्यक्त्वदर्शन शिरोमणिकं नमामि
 
।। इत्याशीर्वादः।।
Tags: Stotra
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