Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर तीर्थक्षेत्र चालीसा!
July 9, 2020
जिनेन्द्र भक्ति
jambudweep
भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर तीर्थक्षेत्र चालीसा
दोहा
वर्तमान शासनपती , महावीर भगवान
तीर्थराज कुंडलपुरी ,उनका जन्मस्थान ||१||
पावन उस शुभ तीर्थ को,नमन करूं शिर टेक
चालीसा के पाठ से, मेटूं भव के क्लेश ||२||
चौपाई
भारतभूमी की पावन रज , जहाँ जन्मे चौबिस तीर्थंकर ||१||
प्रथम हुए आदीश्वर स्वामी, अंतिम महावीर जगनामी ||२||
छ्ब्बिस सौ वर्षों के पहले ,प्रांत बिहार के नालंदा में ||३||
कुण्डलपुर नगरी बड़भागी , जन्म से प्रभु के कीरत जागी ||४||
उस नगरी का कण-कण पावन,तीन कल्याणक से मनभावन ||५||
कुण्डलपुर में नृप सर्वारथ , उनके पुत्र हुए सिद्धारथ ||६||
उनकी रानी प्रियकारिणि ने, सोलह स्वप्न यहीं पर देखे ||७||
तिथि आषाढ़ सुदी छठ में प्रभु, गर्भागम से यह भू हरषे ||८||
पन्द्रह मास रतन की वर्षा , धनद इसी नगरी में करता ||९||
चैत्र सुदी तेरस की तिथि में, वीर जन्म से त्रिभुवन हरषा ||१०||
सुरगिरि पर जन्मोत्सव करके, मात-पिता को बालक सौंपे ||११||
इन्द्र सपरिकर नगरी आया, आनंद नाटक वहाँ रचाया ||१२||
जातिस्मरण हुआ प्रभुवर को, दीक्षा हेतु चले थे वन को ||१३||
अंतिम बालयती कहलाए, लौकान्तिक सुर स्तुति गायें ||१४||
पांच नाम से जाने जाते , महावीर अतिवीर कहाते ||१५||
वर्धमान, सन्मति अरु वीरा,हर लेते भक्तों की पीड़ा ||१६||
केवलरमणी ऋजुकूला तट, पावापुर निर्वाण का स्थल ||१७||
जो कुण्डलपुर नगरी आता, सारे दर्श सहज ही पाता ||१८||
बड़ी दिव्य नगरी थी प्यारी , हुआ कालपरिवर्तन भारी ||१९||
वैभवहीन हुई वह नगरी, भूल गयी थी जनता सगरी ||२०||
छ्ब्बिस सौवां जन्मकल्याणक , आया प्रभु महावीर का जिस क्षण ||२१||
शारद माँ सम ज्ञानमती माँ, कर विहार पहुंचीं नगरी मा ||२२||
जन्मभूमि की पलटी काया, विश्व के मानसपटल पे छाया ||२३||
नाम मात्र जो शास्त्र ग्रंथ में, अब सारी दुनिया वहाँ पहुंचे ||२४||
स्वर्णिम हुआ विकास वहाँ पर, नन्द्यावर्त महल का परिसर ||२५||
महावीर मंदिर अति प्यारा, जहाँ प्रभु का गूँजे जयकारा ||२६||
प्रतिमा अवगाहन प्रमाण है, अतिशयकारी तीर्थराज है ||२७||
दायीं ओर ऋषभ जिनमंदिर, बाईं ओर नवग्रह मंदिर ||२८||
अरु त्रिकाल चौबीसी मंदिर, बना तीन मंजिल का सुन्दर ||२९||
यक्ष-यक्षिणी वीर प्रभू के, राजित हैं परिसर के अंदर ||३०||
नंदयावर्त महल है वहाँ पे, सात मंजिला कहे कथा ये ||३१||
जहाँ प्रभू झूले थे पलना, शैशव फिर आये यौवन मा
||
३२||
प्रभु के जीवन से सम्बंधित , है प्राचीन कलाकृति अनुपम ||३३||
ऊपर शांतिनाथ चैत्यालय , जहां भव्य प्रतिमाएं विराजित ||३४||
है प्राचीन एक जिनमंदिर , जहां वीर प्रभु का कीर्तिस्तम्भ ||३५||
श्वेत वर्ण की सुन्दर प्रतिमा, यक्ष-यक्षिणी की भी महिमा
||
३६||
नूतन परिसर में हैं राजित , चंदनबाला की इक मूरत ||३७||
वीर को जो आहार दे रही, कौशाम्बी की कथा कह रही ||३८||
वीर जन्मभूमी की जय हो, कीर्ति जगत भर में अक्षय हो ||३९||
गणिनी माँ को शीश झुकाओ , तीर्थ की रज मस्तक पे चढ़ाओ ||४०||
शम्भु छंद
प्रभु महावीर की जन्मभूमि का, अर्चन जग हितकारी है
इसकी तीरथयात्रा हर इक, भक्तों के लिए सुखकारी है
प्रभु महावीर ले जन्म जहां, बन गए अजन्मा सिद्धप्रभू
मेरी आत्मा भी तीर्थ बने, इस हेतु ‘इंदु’ भू को प्रणमूँ ||१||
Tags:
Chalisa
Previous post
भगवान श्रेयांसनाथ जन्मभूमि सिंहपुरी तीर्थक्षेत्र चालीसा!
Next post
भगवान नेमिनाथ जन्मभूमि शौरीपुर तीर्थक्षेत्र चालीसा
Related Articles
भगवान ऋषभदेव निर्वाणभूमि कैलाशगिरी सिद्धक्षेत्र चालीसा
April 19, 2020
jambudweep
भगवान ऋषभदेव चालीसा
May 23, 2020
jambudweep
भगवान पार्श्वनाथ केवलज्ञान भूमि अहिच्छत्र तीर्थक्षेत्र चालीसा
June 11, 2020
jambudweep