Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
भगवान श्रेयांसनाथ जन्मभूमि सिंहपुरी तीर्थक्षेत्र चालीसा!
July 9, 2020
जिनेन्द्र भक्ति
jambudweep
भगवान श्रेयांसनाथ जन्मभूमि सिंहपुरी तीर्थक्षेत्र चालीसा
दोहा
सिंहपुरी जी तीर्थ को ,नमन है बारम्बार
चालीसा उस तीर्थ का , देवे सौख्य अपार ||१||
श्री श्रेयांस जिनेश जी, सुनते सबकी पीर
जो नमते श्रद्धा सहित, हो जाते भव तीर ||२||
चौपाई
तीर्थ बनारस निकट है प्यारा, सिंहपुरी जी तीरथ न्यारा ||१||
बड़ी मनोरम कथा है उसकी, जैनधर्म की महिमा कहती ||२||
हुए करोड़ों वर्ष यहाँ पर, जन्में श्री श्रेयांस जिनेश्वर ||३||
सारनाथ भी यह कहलाया, सचमुच सार सभी ने पाया ||४||
है प्राचीन दिगंबर मंदिर, ढाई फिट प्रभु प्रतिमा सुन्दर ||५||
बड़ी कलात्मक वह वेदी है, बगल में नन्दीश्वर जिन भी है ||६||
वह भूगर्भ से प्राप्त हुआ है, किन्तु न अब अधिकार वहाँ है ||७||
पुष्पोद्यान बड़ा ही प्यारा, सरकारी अधिकार है सारा ||८||
इक स्तूप बड़ा ही प्यारा , जिनशासन की कथा है कहता ||९||
बनवाया सम्राट अशोक ने, श्री श्रेयांसनाथ स्मृति में ||१०||
सिंहद्वार है ठीक सामने, सिंहचतुष्क हैं स्तंभों में ||११||
सिंह के नीचे धर्मचक्र है , अंकित बैल व अश्व मूर्ति है ||१२||
भारत में है राजचिन्ह ये, लोकमान्यता है प्रचलन में ||१३||
सिक्के पर भी देखो उसको, लाट अशोक की कहते जिसको ||१४||
सुनो और तीर्थंकर महिमा, यह नगरी थी दिव्य अनुपमा ||१५||
हुए करोड़ों वर्ष पूर्व जब, विष्णुमित्र राजा रहते तब ||१६||
रानी नंदा देखें सपने , गर्भ में प्रभुवर आकर तिष्ठे ||१७||
ज्येष्ठ कृष्ण षष्ठी की तिथि में, इन्द्र गर्भकल्याणक करते ||१८||
फाल्गुन वदि ग्यारस तिथि प्यारी, तीन लोक में खुशियाँ भारी||१९
||
सुरपति मेरु सुदर्शन जाकर, करता जन्मन्हवन जिनशिशु पर ||२०||
कर उपभोग राज्यवैभव का, प्रभु के मन वैराग्य जगा था ||२१||
ऋतु बसंत को नशते देखा ,राज्यविभव सब त्याग किया था ||२२||
लौकांतिक सुर जय-जय करते, सिद्ध नमः कह प्रभु दीक्षा लें ||२३||
फाल्गुन वदि ग्यारस शुभ तिथि में, तपकल्याणक सुरगण करते ||२४||
माघ वदी नवमी जब आई, तब कैवल्यरमा प्रगटाई ||२५||
सुन्दर समवसरण की रचना , करें धनद आकाश अधर मा ||२६||
बारह सभा में बैठे प्राणी , सुनते हैं जिनवर की वाणी ||२७||
गिरि सम्मेदशिखर कहलाया, मोक्षधाम प्रभुवर ने पाया ||२८||
गर्भ,जन्म,तप,ज्ञान जहां पर, वह स्थल है पूज्य धरा पर
||
२९||
पुरातत्व की हुई खुदाई , जैन मूर्तियां कई इक पाईं ||३०||
बना पर्यटन स्थल सुन्दर, यात्रीगण आते हैं प्रतिक्षण ||३१||
ज्ञानमती माँ यहाँ पधारीं, उनने नव योजना बना दी ||३२||
बनी सवा ग्यारह फुट प्रतिमा, श्याम वर्ण जिनमूरत महिमा ||३३||
पञ्चकल्याणक उत्सव भारी, आते बहुत वहाँ नर-नारी ||३४||
मूर्ति बड़ी रमणीक जगह पर, हरियाली का दृश्य है सुन्दर ||३५||
प्रभु श्रेयांसनाथ धर्मस्थल , माताजी ने नाम दिया तब ||३६||
जो वाराणसि तीरथ आते, तीर्थ और दो सहज में पाते ||३७||
चन्द्रपुरी और सिंहपुरी की, तीर्थवन्दना अघमल धोती ||३८||
जय तीर्थंकर जन्मभूमि की, जय जय जय हो चौबिस जिन की ||३९||
जय हो ज्ञानमती जी माता , मम जीवन की हरो असाता ||४०||
दोहा
नमन पूज्य उन तीर्थ को , जन्में जहां भगवान
गर्भ,जन्म,तप,ज्ञान अरु, पाया है निर्वाण ||१||
उन तीर्थों की वंदना, हरे रोग अरु शोक
आध्यात्मिक सुख भी मिले, भरे आत्मनिधि तोष ||२||
चालीसा चालीस दिन, पढ़ो भव्य मन लाय
‘इंदु’ मिले मुक्तीरमा , आत्मा तीर्थ कहाए ||३||
Tags:
Chalisa
Previous post
भगवान शांतिनाथ-कुंथुनाथ-अरनाथ जन्मभूमि हस्तिनापुर तीर्थक्षेत्र चालीसा
Next post
भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर तीर्थक्षेत्र चालीसा!
Related Articles
भगवान नेमिनाथ निर्वाणभूमि गिरनार जी सिद्धक्षेत्र चालीसा
April 19, 2020
jambudweep
शनिग्राहारिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा!
January 24, 2020
jambudweep
भगवान मल्लिनाथ-नमिनाथ जन्मभूमि मिथिलापुरी तीर्थक्षेत्र चालीसा
July 9, 2020
jambudweep