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श्री सुमतिजिन स्तोत्र

September 27, 2022जिनेन्द्र भक्तिaadesh

श्री सुमतिजिन स्तोत्र


(छंद सहित)

चित्रपदा छन्द:-(८ अक्षरी)

यस्य मुखाम्बुजजाता, दिव्यसुधारसवाणी।
चित्तकुमत्यपहर्त्री, तं सुमतिं प्रणमामि।।१।।

विद्युन्माला छन्द:-(८ अक्षरी)

ज्ञानज्योति: पूर्णानंदं, शुद्धात्मानं ध्यायं ध्यायं।
कर्मारातीन् शीघ्रं हत्वा, सिद्धिं लेभे तं वंदेऽहं।।२।।

माणवक छन्द:-(८ अक्षरी)

वीतरुजं वीतशुचं, साम्यरसै: पूर्णभृतं।
स्वात्मगतां, सौख्यसुधां, य: स्वदते तं नमतु।।३।।

हंसरुतं छन्द:-(८ अक्षरी)

आत्मा सिद्धसदृशोऽयं, चिच्चैतन्यविभवोऽयं।
ज्ञानज्योतिरतुलोऽयं, युष्माभिर्निगदितोऽयं।।४।।

नागरक छन्द:-(८ अक्षरी)

पापहरं शिवंकरं, पादसरोरुहं तव।
स्वात्मतमोहरं विधो! त्वां निदधे मनोगृहे।।५।।

नाराचिका छन्द:-(८ अक्षरी)

भव्याब्जिनी विभाकर:, योगीन्द्रचित्तगोचर:।
पापारिपुंजदाहक:, स्थेयात् सदा स मे हृदि।।६।।

समानिका छन्द:-(८ अक्षरी)

साधुवृन्दवंदितोऽसि, सेन्द्रवृन्दसेवितोऽसि।
कर्मपुंजखंडितोऽसि त्वत्समीपमागतोऽस्मि।।७।।

प्रमाणिका छन्द:-(८ अक्षरी)

अनंतसौख्यसागर:, समस्तविश्वभास्कर:।
गुणाम्बुराशिचंद्रमा: पुनीहि मे मन: सदा।।८।।

वितान छन्द:-(८ अक्षरी)

सुरासुरै: पूज्यपाद:, मुनीश्वरैर्वेष्टितस्त्वं।
गुणोत्करै: प्रातिहार्यै:, विभूषितो ज्ञानसूर्य:।।९।।

आर्यागीति छन्द:-(मात्राछंद)

साकेतायां जनको, मेघरथो मंगला सुमंगलजननी।
वृषभान्वयेऽवतीर्णो, गर्भे श्रावणसित-द्वितीयायां।।१०।।

चैत्रसितैकादश्यां, जन्मोत्सवमाप देववृन्दैर्मेरौ।
वैशाखशुक्लनवमी-तिथौ प्रभुर्दीक्षितो महर्द्ध्या युक्त:।।११।।

चैत्रसितैकादश्यां, केवलसाम्राज्यमाप भुवने व्यहरत्।
तस्यामेव तिथौ स्यात्, सम्मेदगिरे:, सुमतिजिनो मुक्तिपति:।।१२।।

अनुष्टुप् छन्द:-

शून्यषड्वार्धिपूर्वायु:, शरास-त्रिशतोच्छ्रित:।
संतप्ततपनीयाभ:, कोकचिन्ह: पुनातु मे।।१३।।

Tags: Stotra
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