करूँ आरती क्षेत्रपाल की, जिनपद सेवक रक्षपाल की।
विजय वीर अरु मणीभद्र की, अपराजित भैरव आदि की।। करूँ आरती………….।।टेक.।।
सिर पर मणिमय मुकुट विराजे, कर में आयुध त्रिशूल सुराजे।
कूकर वाहन शोभा भारी, भूत प्रेत दुष्टन भयकारी।। करूँ आरती…………।।१।।
लंकेश्वर ने ध्यान जो कीना, अंगद आदि उपद्रव कीना।
जभी आपने रक्षा कीनी, उपद्रव टारि शान्तिमय कीनी।। करूँ आरती…………।।२।।
जिन भक्तन की रक्षा करते,दुःख दारिद्र सभी भय हरते।
पुत्रादिक वांछा पूरी करते, इसीलिए हम आरति करते।। करूँ आरती…………।।३।।