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गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का अर्घ्य!
April 5, 2018
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गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का अर्घ्य
हर घर, दिल में आप माता रहती हो |
आपने तीरथ बना-बनाकर, 108 फीट की मूर्ति प्रकटाकर,
ईश्वर को दर्शा दर्शाकर, सम्यक दर्शन है जगाया …
हर घर, दिल में आप माता रहती हो ||1||
आपने 400 ग्रंथों को रचा रचाकर,
कई ग्रंथों का अनुवाद कर कर,
प्रवचन सुना सुना कर, सम्यक ज्ञान है दिलाया……
हर घर, दिल में आप माता रहती हो ||2||
आपने शास्त्रोक्त चर्या पालकर,
कई मुनि,
आचार्य बनाकर,
आर्यिकाओं का आगम पथ दर्शाकर,
सम्यक चारित्र है सिखलाया……
हर घर, दिल में आप माता रहती हो ||3||
माता आपने जो कहा था, वही तो हमने किया है,
आप के विश्वास पर तो माता,
लाखों-करोड़ों का जॉब त्याग दिया है…..
हर पल दिल में हमारे, माता रहती हो ||4||
हे मां, हमें ऐसा आशीष देना, रत्नत्रय धारण करके,
उसका उत्तम पालन करके,
मोक्ष हम शीघ्र चले जाएं…..
हर पल दिल में हमारे, माता रहती हो ||5||
सुख, शांति हर पल रहे, मोक्ष पाने तक,
ज्ञानमती हरदम मिले, मुक्ति ‘नवनीत’ मिलने तक ||
ॐ हीं गणिनी प्रमुख, आर्यिका शिरोमणि, रत्नत्रय निर्झरिणी, शारदे मां, युग श्रेष्ठ गुरु मां, सबकी मां – जगत् जननी श्री ज्ञानमती मात्रे अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा
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Gyanmati mata ji
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