मनुष्य का जीवन बड़ा विचित्रा है। ज्यों ज्यों वह बड़ा होता जाता है, त्यों त्यों एक से एक नई जिम्मेदारी के बोझ तले दबता चला जाता है। इस बोझ भरे जीवन की मंजिल को पार करते हुए उसे अनेक दु:खों, कष्टों व मुसीबतों में से गुजरना पड़ता है, तनाव सहन करने पड़ते हैं व समस्याओं से जूझना पड़ता है, इन सबको सहन करते हुए वह घबरा जाता है। कोई समाज से दूर कहीं भाग जाना चाहता है तो कोई आत्महत्या करना चाहता है लेकिन समाधान यह नही। जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर ही हम अनेक समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं। कमल का फूल प्राप्त करना है तो कांटों से गुजरना ही पड़ेगा। अगर हम इन नई नई मुसीबतों को देखकर चिन्ताग्रस्त हो जायेंगे तो गुजर रही जिन्दगी को भी नष्ट कर रहे हैं। माना कि हम इंसान हैं,किसी समस्या, दु:ख तनाव से घबराहट तो प्राकृतिक रूप से हो ही जाती है लेकिन अफसोस या आंसुओं की धाराओं को ही अपने अन्दर नहीं बसा लेना चाहिए। अगर एक क्षण विचार किया जाए तो विधाता द्वारा बनाए गए भाग्य को बार बार कोसने से कोई फायदा नहीं। भाग्य तो नहीं बदल सकता मगर इसके साथी पुरूषार्थ की बागडोर तो ईश्वर ने हमें ही सौंप रखी है। इस पुरूषार्थ को अपना कर ही हम भाग्य को भी अपना साथी बना सकते हैं। हमारा पुरूषार्थ इसी में है कि मुस्करा कर मुसीबतों से हट कर मुकाबला करें। मुस्कुराहट का कोई नुकसान नहीं। इसमें अनेकों फायदे हैं। मुस्कुराना तो गहरी समझदारी का द्योतक है। मुस्कुराने भर से सामने खड़े व्यक्ति का क्रोध कम हो जाता है, नाराजगी दूर हो जाती है। निरूतर रह कर भी हम कई प्रश्नों का उत्तर जरा सी मुस्कुराहट भर से दे देते हैं। जरा सा मुस्कुरा कर हम कइयों की हमदर्दी हासिल कर लेते हैं। अगर हम यह सोचें कि हमारे जीवन में तो दु:खों के डेरे लगे हुए हैं तो फिर चेहरे पर मुस्कान आए कहां से। दु:ख, तनाव, घुटन यह तो जिन्दगी में आएंगे ही। अकेला सुख ही सुख तो जीवन में प्राप्त नहीं हो सकता। इससे पहले कि दु:ख और तनाव हम पर हाबी हो जाएं, क्यों न हम प्रसन्न रहकर, मुस्कुरा कर इन दु:खों पर विजय प्राप्त कर लें। डेल कारनेगी ने भी लिखा है कि हमारे जीवन में विचित्रा तूफान आते हैं, हिमपात होता है, बिजली गिरती है पर हम नष्ट नहीं होते मगर चिन्ता से जिसको हम अपनी अंगुलियों से मसल सकते हैं, मात खा जाते हैं। चिन्ता को मसलने का सर्वोत्तम उपाय तो प्रसन्नचित रहना ही है। यही एक मुस्कान व खिला चेहरा ही तो पति पत्नि को करीब लाता है। घर आए मेहमान की मुस्कुरा कर ही आवभगत की जा सकती है। आपका रूखा सा चेहरा देखकर तो वह भी कई ऊट पटांग बातें सोचकर खुद को बोझ सा महसूस करेगा। इसलिए सबका सहयोग प्राप्त करना है तो प्रसन्नचित रहना चाहिए। सारांश यह है कि हमें जीवन में नकारात्मक दृष्टिकोण के स्थान पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। तभी जीवन की मंजिल हंसी, खुशी, मुस्कुरा कर, आसानी से पार कर सकते हैं। आओ हम सब मिलकर प्रण करें कि जीवन में हमेशा मुस्कुराएंगे, मुस्कान प्रदान कर मुस्कान को ही पाएंगे।