Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
भगवान शांतिनाथ वन्दना
January 18, 2020
कविताएँ
jambudweep
श्री शांतिनाथ वन्दना
दोहा
हस्तिनागपुर में हुये, गर्भ जन्म तप ज्ञान।
सम्मेदाचल मोक्ष थल, गाऊँ प्रभु गुणगान।।१।।
स्रग्विणी छंद
मैं नमूँ मैं नमूँ शांति तीर्थेश को।
नाथ मेरे हरो सर्व भवक्लेश को।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।२।।
विश्वसेन प्रिया मात ऐरावती।
वर्ष इक लाख आयू कनक वर्ण ही।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।३।।
देह चालीस धनु चिन्ह मृग ख्यात है।
जन्म भू हस्तिनापूरि विख्यात है।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।४।।
नाथ के समवसृति में सभा मध्य ये।
साधु बासठ सहस मूलगुणधारि थे।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।५।।
चक्र आयुध प्रमुख गणपती श्रेष्ठ थे।
ऋद्धि संयुक्त छत्तीस मुनिज्येष्ठ थे।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।६।।
आर्यिका हरीषेणा प्रधाना तथा।
साठ हज्जार त्रय सौ सभी आर्यिका।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।७।।
दोय लक्षा सुश्रावक प्रभू भाक्तिका।
चार लक्षा कहीं श्राविका सद्व्रता।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।८।।
सौख्य हेतू भटकता फिरा विश्व में।
किन्तु पाई न साता कहीं रंच मैं।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।९।।
नाथ ऐसी कृपा कीजिए भक्त पे।
शुद्ध सम्यक्त्व की प्राप्ति होवे अबे।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।१०।।
स्वात्म पर का मुझे भेद विज्ञान हो।
पूर्ण चारित्र धारूँ जो निष्काम हो।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।११।।
पूर्ण शांती जहाँ पे वहीं वास हो।
भक्त ये आपका आपके पास हो।।
पूरिये नाथ मेरी मनोकामना।
फेर होवे न संसार में आवना।।१२।।
दोहा
तीर्थंकर चक्री मदन, तीनों पद के ईश।
पूर्ण ‘‘ज्ञानमति’’ हेतु मैं, नमूँ नमूँ नतशीश।।१३।।
Tags:
Jain Poetries
Previous post
भगवान ऋषभदेव वन्दना
Next post
भगवान संभवनाथ वन्दना
Related Articles
जीवन का मूल्य
December 17, 2014
jambudweep
ज्ञानमती काव्यांजलि
February 28, 2014
jambudweep
भगवान नेमिनाथ वन्दना
June 3, 2020
jambudweep
error:
Content is protected !!