आर्यिका चंदनामती
ॐ जय जय गुरुदेवा, स्वामी जय जय गुरुदेवा।
जिनवर के लघुनन्दन-२, वीर सिन्धु देवा।।ॐ जय.।।
तिथि आषाढ़ सुदी पूनो को, ईर ग्राम जन्मे। स्वामी…………..
भाग्यवती माँ पिता रामसुख, तुमको पा हर्षे।।ॐ जय.।।१।।
गुरू पूर्णिमा धन्य हुई तिथि, तुम सा गुरू पाकर। स्वामी……….
हीरालाल नाम पा, बन गये रत्नाकर ।। ॐ जय.।।२।।
श्री चारित्र चक्रवर्ती के, प्रथम शिष्य माने। स्वामी…….
पट्टाचार्य प्रथम बन-२, निज पर को जानें।।ॐ जय. ।।३।।
संघचतुर्विध के अधिनायक, छत्तिस गुणधारी। स्वामी……..
गुरुपूर्णिमा के दिन जन्मे-२, गुरुपद के धारी।।ॐ जय.।।४।।
आश्विनवदि मावस को, मरण समाधि हुआ। स्वामी…………
जीवन मंदिर पर तब-२, स्वर्णिम कलश चढ़ा।। ॐ जय. ।।५।।
गुरु आरति से मेरा, आरत दूर भगे। स्वामी………
तभी ‘‘चन्दनामती’’ हृदय में, आतम ज्योति जगे।। ॐ जय.।।६।।