श्री उपाध्याय के पंचवीस, गुण साधु के अट्ठाइस हैं।।
पांचों परमेष्ठी के गुणगण, एक सौ तेतालिस बतलाये।
जो इनका नाम स्मरण करे, वह झट भवदधि से तर जाये।।1।।