सव्येतरोर्ध्वकरदीप्रपरस्वधाक्ष,
सूत्रं तथाधरकरांकफलेष्टदानम् ।।
प्राग्गोमुखं वृषमुखं वृषभं वृषांकम् ,
भत्तं यजे कनकभं वृषचक्रशीर्षम् ।।१।। ।।
इति पूजाप्रतिज्ञापनाय पुष्पाजंलिं क्षिपेत् ।।
चतुर्भुजः सुवर्णाभः सुमुखो वृषवाहनः।
हस्ते च परशुं धत्ते बीजपूराक्षसूत्रकम् ।।
वरदानपरः सम्यग् धर्मचक्रं च मस्तके।
संस्थाप्यो गोमुखोयक्ष आदिदेवस्य दक्षिणे।।
१. ॐ गोमुखयक्षाय स्वाहा | २. गोमुखपरिजनाय स्वाहा | ३. गोमुखअनुचराय स्वाहा | ४. गोमुखमहत्तराय स्वाहा |
५. अग्नये स्वाहा | ६. अनिलाय स्वाहा | ७. वरुणाय स्वाहा | ८. प्रजापतये स्वाहा |
९. ॐ स्वाहा | १०. भूःस्वाहा | ११. भुवः स्वाहा | १२. स्वः स्वाहा |
१३. ॐ भूर्भुवः स्वाहा | १४. स्वधा स्वाहा। |