भरत क्षेत्र में एक समय में एक तीर्थंकर होते हैं ।
ढाई द्वीप में दो समुद्र आते हैं।
मूढ़ता तीन होती हैं।
शिक्षाव्रत चार होते हैं।
मुनि पाँच प्रकार के होते हैं।
द्रव्य छ: होते हैं ।
मोक्ष सातवें नम्बर का पदार्थ है।
व्यंतर देव आठ प्रकार के होते हैं।
बलभद्र नौ होते हैं ।
धर्म दस प्रकार के होते हैं ।
प्रतिमा ग्यारह होती हैं।
चक्रवर्ती बारह होते हैं ।
विमलनाथ जी तेरहवें तीर्थंकर हैं ।
मार्गणा चौदह होती हैं।
ढाई द्वीप में पन्द्रह कर्म भूमि हैं।
स्वर्ग सोलह होते हैं।