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महालक्ष्मी माता की अभिषेक विधि!
July 9, 2020
जिनेन्द्र भक्ति
jambudweep
महालक्ष्मी माता की अभिषेक विधि
तीर्थोदकाभिषेक (जलाभिषेक)
व्योमापगादितीर्थोद्भवेनातिस्वच्छवारिणा।
अभिसिञ्चे जगन्मान्यां लक्ष्मीदेवीं श्रियै मुदा।।१।।
ॐ ह्रीं परमपवित्रजलेन महालक्ष्मीं अभिषेचयामि स्वाहा।
अर्घ्य-
ॐ ह्रीं लक्ष्मीदेव्यै अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
-रसाभिषेक-
सद्य:पीलितपुण्ड्रेक्षु – रसेन शर्करादिना।
अभिसिञ्चे जगन्मान्यां, लक्ष्मीदेवीं श्रियै मुदा।।२।।
ॐ ह्रीं परमपवित्ररसेन महालक्ष्मीं अभिषेचयामि स्वाहा।
अर्घ्य-
ॐ ह्रीं लक्ष्मीदेव्यै अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
-घृताभिषेक-
कनत्कांचनवर्णेन, सद्य:संतप्तसर्पिषा।
अभिसिञ्चे जगन्मान्यां, लक्ष्मीदेवीं श्रियै मुदा।।३।।
ॐ ह्रीं परमपवित्रघृतेन महालक्ष्मीं अभिषेचयामि स्वाहा।
अर्घ्य-
ॐ ह्रीं लक्ष्मीदेव्यै अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
दुग्धाभिषेक-
सद्गोक्षीरप्रवाहेन, शुक्लध्यानाकरेण वा।
अभिसिञ्चे जगन्मान्यां, लक्ष्मीदेवीं श्रियै मुदा।।४।।
ॐ ह्रीं परमपवित्रदुग्धेन महालक्ष्मीं अभिषेचयामि स्वाहा।
अर्घ्य-
ॐ ह्रीं लक्ष्मीदेव्यै अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा। –
दध्यभिषेक-
हिमपिण्डसमानेन, दध्ना पुण्यफलेन वा।
अभिसिञ्चे जगन्मान्यां, लक्ष्मीदेवीं श्रियै मुदा।।५।।
ॐ ह्रीं परमपवित्रदध्ना महालक्ष्मीं अभिषेचयामि स्वाहा।
अर्घ्य-
ॐ ह्रीं लक्ष्मीदेव्यै अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
-चतु:कलशाभिषेक-
हेमोत्पन्नचतु:कुम्भैर्नानातीर्थाम्बुपूरितै:।
अभिसिञ्चे जगन्मान्यां, लक्ष्मीदेवीं श्रियै मुदा।।६।।
ॐ ह्रीं परमपवित्रचतुष्कोणकलशै: महालक्ष्मीं अभिषेचयामि स्वाहा।
अर्घ्य-
ॐ ह्रीं लक्ष्मीदेव्यै अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
-सुगंधितजलाभिषेक-
दिव्यद्रव्यौघमिश्रेण, सुगन्धेनाच्छवारिणा।
अभिसिञ्चे जगन्मान्यां, लक्ष्मीदेवीं श्रियै मुदा।।७।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वं मं हं सं तं पं वं वं मं मं हं हं सं सं तं तं पं पं द्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावय द्रावय झं झं झ्वीं क्ष्वीं हं स: सुगंधितजलेन महालक्ष्मीदेवीं अभिषेचयामि स्वाहा।
अर्घ्य-
ॐ ह्रीं लक्ष्मीदेव्यै अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
-पूर्णार्घ्य-
स्वच्छैस्तीर्थ जलैरतुच्छसहज-प्रोद्गंधिगंधै: सितै:।
सूक्ष्मत्वायतिशालिशालिसदकैर्गंधोद्गमैरुद्गमै:।।
हव्यैर्नव्यरसै: प्रदीपित शुभैर्दीपैर्विपद्धूपकै:।
धूपैरिष्टफलावहैबर्हुफलै:, लक्ष्मीं समभ्यर्चये।।८।।
ॐ ह्रीं महालक्ष्मीदेव्यै पूर्णार्घ्यं समर्पयामि इति स्वाहा।
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