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भगवान महावीर का बारहमासा!
June 17, 2020
जिनेन्द्र भक्ति
jambudweep
भगवान महावीर का बारहमासा
रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-रामजी की निकली सवारी……
महावीर का बारहमासा, सुनें हम मन में ले के आशा-आशा।
एक ओर राग था, एक ओर वैराग्य, वैराग्य से जीवन को प्रकाशा।
महावीर का बारहमासा।।टेक.।।
मधुमास बन गये सब मास जिनके।
मन में हुआ जब वैराग्य प्रभु के।।
कुण्डलपुरी की धरती है पावन।
उनमें जहाँ पर महावीर भगवन।।
बन ब्रह्मचारी, दीक्षा स्वीकारी,
निज ज्ञान से जिनने जग को प्रकाशा।
महावीर का बारहमासा…….।।१।।
शुभ चैत्र में जन्मे, महावीर स्वामी।
अक्षय बना वह, मासों का स्वामी।।
होली का रंग चढ़ा वीरा के तन पर।
भाई थी भावना, जब सोलहकारण।।
माँ त्रिशला ने देखे, सोलह सपने,
सिद्धार्थ पितु ने फल को विकासा।
महावीर का बारहमासा…….।।२।।
वैशाख में बने कैवल्यज्ञानी।
गणधर मिले बिन थे मौन ध्यानी।।
बैशाख को ज्ञान का मास मानो।
महावीर की गुण गाथा बखानो।।
जिनवर चलें अधर, पगतल थे स्वर्ण कमल,
समवसरण नभ में अद्भुत बना था।
महावीर का बारहमासा………।।३।।
शुभ ज्येष्ठ का मास अति उष्ण माना।
महावीर ने तप करने को ठाना।।
निज तप से कितने पतितों को तारा।
यह मास तप के लिए समझो प्यारा।।
सबसे बड़ा मास, मासों में यह खास,
वीरा ने इसको निज में प्रकाशा।
महावीर का बारहमासा………।।४।।
आषाढ़ में आष्टान्हिक परब है।
निज ध्यान में निश्चल वीर प्रभु हैं।।
माँ त्रिशला के सपनों का मास है यह।
सिद्धार्थ ने जिनका फल था बताया।।
चौमासा का मास, जग में है विख्यात,
लेकिन जिनेन्द्र प्रभु करते न चौमासा।
महावीर का बारहमासा……..।।५।।
श्रावण की एकम दिन वीर शासन।
दिव्यध्वनी झेलने आए गौतम।।
यु
ग का प्रथम मास वह माना जाता।
महावीर का जुड़ गया उससे नाता।।
छ्यासठ दिनों बाद, ओंकार का नाद,
गूंजा तभी हुआ श्रुत का विकासा।
महावीर का बारहमासा………..।।६।।
पर्वों का महिना है भाद्रपद का।
महावीर ने पर्व का फल चखा था।।
इस मास में व्रत तप करते हैं सब।
महावीर वाणी सुनते थे सुर नर।।
सोलह सुकारण, दशधर्म लक्षण,
उत्तम क्षमावाणी पर्व आता।
महावीर का बारहमासा………..।।७।।
आश्विन शरद ऋतु प्रारंभ करता।
यह मास शारद का पक्ष धरता।।
महावीर की दिव्यध्वनि खिरती रहती।
भव्यों के मन को पावन वो करती।।
जिनवर की वाणी, है कल्याणी,
सुनकर सभी ने निज को प्रकाशा।
महावीर का बारहमासा……।।८।।
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