
आरती तीर्थ अयोध्या की-२ तीर्थंकरों की,
जन्मभूमि यह, सब मिल करो आरतिया।
आरती तीर्थ अयोध्या की।।टेक.।।
शाश्वत यह पुरी अयोध्या, जग में जानी जाती है।
सम्मेदशिखर के सदृश, पावन मानी जाती है।
आरती तीर्थ अयोध्या की।।१।।
यूं तो इस भू पर सारे, तीर्थंकर सदा जनमते।
लेकिन इस युग में जन्में, तीर्थंकर पंच परम थे।।
आरती तीर्थ अयोध्या की।।२।।
श्री ऋषभ अजित अभिनंदन, सुमती अनंत जी जन्मे।
उन्नीस शेष तीर्थंकर, सब अलग-अलग ही जन्मे।
आरती तीर्थ अयोध्या की।।३।।
तीरथ की पावन रज को, मस्तक पर धारण कर लो।
इसकी आरति कर अपने, कष्टों का निवारण कर लो।
आरती तीर्थ अयोध्या की।।४।।
आदीश्वर की खड्गासन, प्रतिमा को नमन करें हम।
चंदनामती इस शाश्वत, तीरथ को नमन करें हम।।
आरती तीर्थ अयोध्या की।।५।।
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शाश्वत तीर्थ अयोध्या

