रचयित्री – प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
आरती लक्ष्मी देवी की-२ धन धान्य की सम्पत्ति देने वाली,
माँ की करो आरतिया।। ।।आरती.।।
जिनशासन में जिनवर की, ये भक्त कही जाती हैं।
जो इनकी भक्ती करते, उनके घर में आती हैं।। आरती लक्ष्मी देवी की।।१।।
प्रभु समवसरण के आगे-आगे लक्ष्मी चलती हैं।
जिससे प्रभु के वैभव में, कुछ कमी न रह सकती हैं।। आरती लक्ष्मी देवी की।।२।।
धन वैभव के इच्छुक जन, इनका आराधन करते।
आर्थिक संकट नश जाता, इच्छित फल को वे लभते।। आरती लक्ष्मी देवी की।।३।।
हे लक्ष्मी माता मुझको, भक्ती का ऐसा फल दो।
लौकिक आध्यात्मिक लक्ष्मी, ‘‘चन्दना’’ मेरे मन भर दो।। आरती लक्ष्मी देवी की।।४।।