07.उत्तम तप धर्म विवेचन
उत्तम तप धर्म श्री रइधू कवि ने अपभृंश भाषा में तप धर्म के विषय में कहा है णर—भव पावेप्पिणु तच्च मुणेप्पिणु खंचिवि पंचिंदिय समणु।णिव्वेउ पंमडि वि संगइ छंडि वि तउ किज्जइ जाएवि वणु।।तं तउ जिंह परगहु छंडिज्जइ, तं तउ जिंह मयणु जि खंडिज्जइ।तं तउ जिंह णग्गत्तणु दीसइ, तं तउ जिंह गिरिवंदरि णिबसइ।।तं तउ जिंह…