इष्वाकार!
इष्वाकार Name of four mountains (straight like an arrow). धातकीखंड व पुष्करार्ध द्वीपों की उत्तर-दक्षिण दिशाओं में एक एक पर्वत है इस प्रकार 4 इष्वाकार पर्वत उन द्वीपों को आधे आधे भाग में विभाजित करते है।
इष्वाकार Name of four mountains (straight like an arrow). धातकीखंड व पुष्करार्ध द्वीपों की उत्तर-दक्षिण दिशाओं में एक एक पर्वत है इस प्रकार 4 इष्वाकार पर्वत उन द्वीपों को आधे आधे भाग में विभाजित करते है।
व्यंजन – पूजन में चढ़ाये जाने वाले पकवान्न अर्थात् लाडू – बर्फ़ी – रसगुल्ला आदि मिष्टान्न- पकवान्न को व्यंजन कहते हैं|
भरतप्रथम तीर्थंकर भगवान श्री रिषभदेव के प्रथम पुत्र का नाम था – भरत ।ये इस धरती के प्रथम चक्रवर्ती थे । इनके ही नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा है , जोकि सार्थक ही है ।
महापुराण –श्री जिनसेनाचार्य द्वारा रचित महापुराण के दो भाग हैं – १ आदिपुराण २ उत्तरपुराण ।इन दोनों भागों में ६३ शलाका महापुरुषों का चारित्र वर्णित है । अन्य अनेक प्रेरणास्पद कहानियाँ भी इस महापुराण में पढ़ने योग्य हैं । महापुराण के दोनों भाग अपने जीवन में एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए ।
कामदेव –यह एक विशेष पद होता है ।जैन सिद्धान्त में २४ कामदेव होते हैं । इनमें से बाहुबली भगवान प्रथम कामदेव थे ।कामदेव का शारीरिक सौंदर्य संसार में अतुलनीय होता हैं ।
अनादिकाल –जिसका न कोई आदि है और न अन्त है,ऐसे शाश्वत काल को अनादिकाल कहते हैं ।अनादिकाल से इस धरती पर जैनधर्म एवं उसके सर्वोदयी सिद्धान्त चले आ रहे हैं ।जो प्राणिमात्र के लिए हितकारी हैं ।
जिनमंदिरजिस भवन में जिनेंद्र भगवान की प्रतिमाएँ विराजमान रहती हैं, उसे जिनमंदिर कहते हैं ।
णमो लोए सव्व साहूणं – लोक के सर्व साधुओं (साधु परमेष्ठी) को नमस्कार हो |