11. पूर्वधातकीखण्डद्वीप ऐरावत क्षेत्र वर्तमानकालीन तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. ११) पूर्वधातकीखण्डद्वीप ऐरावत क्षेत्र वर्तमानकालीन तीर्थंकर स्तोत्र गीता छंद वर पूर्वधातकि द्वीप में, शुभ क्षेत्र ऐरावत कहा। तीर्थेश संप्रति काल के, मैं भी नमूँ नितप्रति यहाँ।। समता रसिक योगीश गण, नित वंदना उनकी करें। मन वचन तन से ही सतत, हम संस्तवन उनका करें।।१।। दोहा ज्ञान दरश सुखवीर्यमय, गुण अनंत विलसंत। भक्तिभाव से…