भव्यात्माओं का किया उद्धार
भव्यात्माओं का किया उद्धार वंदन करूँ पंच परम गुरु, चतुर्विंशति जिन महाराज। नमन जिन भाषित भारती, सम्यग्ज्ञान प्राप्ति ममकाज।।१।। मंगलकर्ता हैं महावीर प्रभु, मंगलकारी गौतम गणेश। मांगलिक कुन्दकुन्द सूरि, मंगल कारक सद्धर्म जिनेश।।२।। श्री शांतिसागर के पट्टधर थे, वीरसागर जी मुनिनाथ। तिन दीक्षित माता ज्ञानमती, करूँ वंदामि जोड़कर हाथ।।३।। उन्नीस सौ चौंतीस सन् ईसवी, आश्विन…