‘‘गौरव ग्रंथ समर्पण बेला, श्रद्धायुत मन की धारा है।!
‘‘गौरव ग्रंथ समर्पण बेला, श्रद्धायुत मन की धारा है ।गणिनी ज्ञानमती चरणों में, शत-शत नमन हमारा है।।’’ (१) आत्म साधना पथ पर चलते, बीते वर्ष पचास। जिनवाणी सेवा रत रहते, बीता स्वर्णमयी इतिहास।। बाल्यकाल वैराग्य भाव का, अद्भुत् पुण्य प्रकाश। धर्म देशना मार्ग बना जो, गणिनी का गौरव इतिहास।। जनकल्याणी युग कल्याणी, आत्म शौर्य की…