सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन य: सार: सर्वसारेषु, स सम्यग्दर्शनं मतम्। आ मुत्तेर्नहि मां मुञ्चेत्, वृत्तं च विमलीक्रियात्।।१।। सम्पूर्ण सारों में भी जो ‘‘सार’’ है वह सम्यग्दर्शन ही है। मोक्ष होने तक वह मुझे न छोड़े या मुझसे न छूटे और मेरे चारित्र को भी निर्मल करे। डसम्यग्दर्शन, सद्दर्शन, सद्ददृष्टि, सम्यग्दृष्टि, सद्दक्, सम्यग्दृक् और सम्यक्त्व ये सब पर्यायवाची नाम…