चावल चढ़ाने का उद्देश्य हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि भगवान के समक्ष कभी खाली हाथ नहीं जायें। जब हम जिन दर्शन को जायें तो अपने हाथों में चांवल (अक्षत) लेकर जायें। चांवल चढ़ाने का उद्देश्य यह है जिस तरह धान से छिलका उतर जाने पर फिर धान बीज रूप में उगाने के लिये बोया…
पुण्य और धर्म के स्वामी कौन-कौन हैं पूयादिसु वयसहियं पुण्णं हि जिणेहि सासणे भणियं।मोहक्खोह विहीणो परिणामो अप्पणो धम्मो।।८१।। पूजा आदि क्रियाओं में पुण्य होता है। श्रावक सम्यग्दर्शन और अणुव्रतों से सहित जिनपूजा, दान आदि क्रियाओं को करके सातिशय पुण्य संचित कर लेता है ऐसा उपासकाध्ययन नाम के अंग में जिनेन्द्रदेव द्वारा वर्णित है। टीकाकार कहते…
कैंसर से बचने के लिए अपनाएं सुपर फूड कैंसर आज ऐसी जान लेवा बीमारी बन गई है जो हर वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है, कैंसर का इलाज ढूंढ रहें वैज्ञानिकों ने अनार, हल्दी, ग्रीन टी और ब्रोकली जैसे सुपर फूड को कैंसर दूर करने में कारगर पाया है। अमेरिका…
सेब डॉ. हसीब अहमद राही होत कहे अमरीका सभी अरू भारत में उपजें बहु आशाान ठंड मिले , यह स्वर्ग दिया फल सूर्ख व पील हरा हर भाँती।। भारत में यह होत सखे निज क्षेत्र रहे—आति शीत सी माटी। नीलगिरी कश्मीर कुमाऊ कुलू बंगलौर तथा विद्यनारी।। ऐब रखे निज कारब हाइड, लोह तथा कलशीयम…
पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी का कृतित्व समाहित विषयवस्तु १. शिष्यों-रचनाओं और कार्यों की गणना कठिन। २. सम्पूर्णता-कार्यों की विशेषता। ३. श्रेष्ठता-रचनाओं की विशेषता। ४. रत्नत्रय निर्दोषता-शिष्यों की विशेषता। ५. कार्यकलाप-निष्काम, निस्पृह, निर्नाम भाव से। ६. कार्यों-कृतियों की निरंतरता, सूर्य-पवनवत्। ७. उत्तमोत्तम-सुपात्र शिष्य संग्रहण। ८. उदारचरितानांतु वसुधैव कुटुम्बकम्। ९. सबके लिए प्रेरक, ऊर्जावान-घर और बाहर…
जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर चातुर्मास-सन् २००७ (चतुर्थ खण्ड) समाहित विषयवस्तु १. कालचक्र गतिमान सदा। २. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगिनी माता ज्ञानमती। ३. सर्वोत्तम वर्ष-२००७। ४. षट्खंडागम की रचना और माताजी की टीका। ५. एक अद्भुत श्रमसाध्य कार्य। ६. जम्बूद्वीप और तेरहद्वीप रचनाएँ अनुपम हैं। ७. पंचकल्याणक एवं माताजी के प्रवचन। ८. पंचकल्याणक क्या है? ९. डॉ.श्री श्रेयांसकुमार का स्वर्ण जयंती…
प्रयाग-इलाहाबाद चातुर्मास-सन् २००२ (चतुर्थ_खण्ड) समाहित विषयवस्तु १. दिल्ली से कुण्डलपुर होकर प्रयाग-इलाहाबाद। २. ऋषभदेव तपस्थली प्रयाग-नया तीर्थ निर्माण। ३. प्रयाग में कैलाशपर्वत, तपस्थली, कीर्तिस्तम्भ आदि का निर्माण। ४. चातुर्मास की स्थापना। ५. हस्तिनापुर में पंचकल्याणक। ६. हस्तिनापुर में पंचकल्याणक-सन्निधि क्षुल्लक मोतीसागर जी। ७. अनेक आयोजन सम्पन्न हुए। ८. विद्वानों को सम्मान एवं पुरस्कार। ९. महाश्रमण…