35. जीव के स्वतत्त्व
जीव के स्वतत्त्व जीव के असाधारण (जीव के सिवाय अन्य किसी द्रव्य में नहीं पाये जाने वाले) भाव पाँच हैं, वे जीव के स्वतत्त्व कहलाते हैं। औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, औदयिक और पारिणामिक। १. औपशमिक-कर्मों के उपशम से होने वाले भाव को औपशमिक कहते हैं। इनके दो भेद हैं-औपशमिक सम्यक्त्व और औपशमिक चारित्र। उपशमसम्यक्त्व-अनादि मिथ्यादृष्टि की…