बहु/ बेटियों को सीख विनोद कुमार ‘नयन’ पढ़ी लिखीं हों बेटियाँ, जाने लोकाचार। दिल जीतें ससुराल का, करें मधुर व्यवहार।। पढ़ी लिखीं तो क्या हुआ गर न आए गृह काज। जैसे नकटी को भला क्या शृंगार क्या लाज।। केवल ले लीं डिग्रियाँ, घर का काम न आए। ऐसी बहू ससुराल में, कुल का नाम लजाए।।…
बहुत खूबियां हैं बर्फ में शैली माथुर आज के जमाने में बर्फ का इस्तेमाल प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत आवश्यक वस्तु बन गया है। गर्मियां आते ही बर्फ हमें विशेष रूप से अच्छी लगने लगती है क्योंकि इसके सेवन से हमे ठंडक मिलती है। बर्फ को खाने पीने के लिए ही नहीं वरन्…
तिथि, ग्रह, यक्ष-यक्षी आदि के अघ्र्य दोहा जैनमार्ग में जो कहे, तिथि प्रमाण सुरवृंद। वे पंद्रह तिथिदेवता, जजूँ अर्घ अर्पंत।।१।। ॐ ह्रीं यक्षवैश्वानरराक्षसनधृतपन्नगअसुरसुकुमारपितृविश्वमालिनि चमरवैरोचनमहाविद्यमार विश्वेश्वरपिंडाशिन् इति पंचदश तिथिदेवा:! अत्र आगच्छत- आगच्छत संवौषट्। ॐ ह्रीं अत्र स्थाने तिष्ठत तिष्ठत ठ: ठ:। ॐ ह्रीं अत्र मम सन्निहिता भवत भवत वषट्। ॐ ह्रीं श्री पंचदशतिथिदेवेभ्य: इदं अघ्र्यं…
लघु पुण्याहवाचन पुण्याहवाचन के पूर्व श्वेत चावल एक पट्टे या चौकी पर बिछावें और उसके ऊपर ह्रीं एवं स्वस्तिक बनाकर जल से परिपूर्ण कलश में मंगलमय हल्दी, सुपारी, सरसों, नवरत्न, गंध, अक्षतादिक डालें एवं मुख पर नारियल, नागर बेल (पान) या आम्रादिक के पत्ते लगावें, उसके कण्ठ में पंचरंगी सूत्र बांधे, उस पर स्वस्तिक बनावें।…
पद्मावती माता की गोद भरने का भजन कु. माधुरी शास्त्री आओ री सुहागन नारी, मंगल गावो री। पद्मावति माता की, गोद भरावो री।। सुन्दर काया माँ की वस्त्र पहनाओ, जयपुर चँदेरी की चुनरी ओढ़ाओ। अपनी चुनरिया भी खूब सजावो री।। पद्मावति माता की.।।१।। (वस्त्र पहनावें) सोने चाँदी के भूषण माँ को पहनाओ, माला कुण्डल कंकणों…
महालक्ष्मी माता की पूजन रचयित्री-आर्यिका चंदनामती स्थापना (शंभु छंद) हे लक्ष्मी माता! तव मस्तक पर, प्रभु अरिहंत विराजे हैं। प्रभु से पावन तेरे तन पर, आभूषण गुण के राजे हैं।। प्रभु समवसरण में सरस्वती के, साथ सदैव रहा करतीं। तेरी पूजन से इसीलिए, जनता धनवान बना करती।।१।। दोहा आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण प्रधान। इस विधि…