01. सोलह कारण भावना
सोलह कारण भावना प्रस्तुति – गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी श्रेयोमार्गानभिज्ञानिह भवगहने जाज्ज्वलद्दु:खदाव-स्कन्धे चंक्रम्यमाणानतिचकितमिमानुद्धरेर्यं वराकान्।।इत्यारोहत्परानुग्रहरसविलसद्भावनोपात्तपुण्य-प्रक्रान्तैरेव वाक्यै: शिवपथमुचितान् शास्ति योऽर्हन् स नोऽव्यात् ।।१।। अर्थ-इस संसाररूपी भीषण वन में दु:खरूपी दावानल अग्नि अतिशय रूप से जल रही हैं। जिसमें श्रेयोमार्ग-अपने हित के मार्ग से अनभिज्ञ हुए ये बेचारे प्राणी झुलसते हुए अत्यंत भयभीत होकर इधर-उधर भटक…