भगवान् :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:सूक्तियां ]] == भगवान् : == जयति श्रुतानां प्रभव:, तीर्थंकराणामपश्चिमो जयति। जयति गुरुर्लोकानां, जयति महात्मा महावीर:।। —समणसुत्त : ७५६ श्रुत ज्ञान के उदय की जय हो, तीर्थंकरों में अंतिम तीर्थंकर की जय हो, लोकों के गुरु की जय हो और महान् आत्मा (भगवान्) महावीर की जय हो।