कर्तव्य :!
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == कर्तव्य : == मा होह कोवणा भो खलेसु मित्त च मा कुणह।। —कुवलयमाला : ८५ हे मानव ! जीवों को मत मारो, उन पर दया करो, सज्जनों को अपमानित मत करो, क्रोधी मत होओ और दुष्टों से मित्रता न करो। धम्मम्मि कुणह वसणं राओ सत्थेसु णिउणभणिएसु। पुणरुत्तं च कलासु ता गणणिज्जो सुयणमज्झे।।…