क्या है चार करें विचार
क्या है चार करें विचार १. अनुयोग — (१) प्रथमानुयोग (२) करणानुयोग (३) चरणानुयोग (४) द्रव्यानुयोग २. दान — (१) आहारदान (२) औषध दान (३) शास्त्र दान (४) अभय दान ३. संज्ञा — (१) आहार …
क्या है चार करें विचार १. अनुयोग — (१) प्रथमानुयोग (२) करणानुयोग (३) चरणानुयोग (४) द्रव्यानुयोग २. दान — (१) आहारदान (२) औषध दान (३) शास्त्र दान (४) अभय दान ३. संज्ञा — (१) आहार …
क्या है छ: १. षट् आवश्यक— (१) देव पूजा (२) गुरु उपासना (३) स्वाध्याय (४) संयम (५) तप …
जानिये नव अर्थात् नौ क्या है ? १. नौ पदार्थ 1. जीव 2. अजीव 3. आस्रव 4. बंध 5. संवर 6. निर्जरा 7. मोक्ष 8. पुण्य, 9. पाप २. नौ ग्रेवेयक 1.सुदर्शन 2.अमोघ 3.सुप्रबुद्ध 4.यशोधर 5.सुभद्र 6.सुविशाल 7.सुमन 8. सौमन 9.प्रीतिकर ३. नौ अनुदिश 1.अर्चि 2.अर्चिमालिनी 3.बङ्का (बैर) 4.वैरोचन 5.सौम अंक 6.सौम्य रूप 7 8….
नौ का अंक जानिये क्या हैं ? (१) नवग्रह (२) नवदेवता (३) नवनिधि (४) नवरंग (५) नौ रस (६) नव द्वार (७) नव पदार्थ (८) नवधा भक्ति (९) नवरत्न
क्या है सोलह १- सोलहकारण भावना— (१) दर्शन विशुद्धि (२) विनय संपन्नता (३) शीलव्रतेश्वनतिचार (४) अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग (५) संवेग (६) शक्तितस्त्याग (७) शक्तितस्तप (८)साधु समाधि (९) वैयावृत्यकरण (१०) अरिहंत भक्ति (११) आचार्य भक्ति (१२) बहुश्रुत भक्ति (१३) आवश्यकापरिहाणी (१४) मार्ग प्रभावना (१५) बहुश्रुत भक्ति (१६) प्रवचन वत्सलत्व। २- सोलह स्वर्ग— (१) सौधर्म (२) ईशान (३)…
क्या हैं तेईस (२३) नौ कर्म वर्गणाओं के २३ भेद (१) अणुवर्गणा (२) संख्याताणुवर्गणा (३) असंख्यातेणुवर्गणा (४) अनंताणुवर्गणा (५) आहारवर्गणा (६) प्रथम अग्राह्यवर्गणा (७) तैजस शरीर वर्गणा (८) द्वितीय अग्राह्य वर्गणा (९) भाषा वर्गणा (१०) तृतीय अग्राह्यवर्गणा (११) मनोवर्गणा (१२) चौथी अग्राह्यवर्गणा (१३) ध्रुव वर्गणा (१४) कार्मणा वर्गणा (१५) सांतर निरंतर वर्गणा (१६) शून्य वर्गणा…
क्या हैं इक्कीस ०१. दातार के इक्कीस गुण (१) पड़गाहन (२) उच्च स्थान (३) पाद—प्रक्षालन (४) अर्चना (४) अर्चना (६) मनशुद्धि (७) वचनशुद्धि (८) काय शुद्धि (९) आहार—जल शुद्धि (१०) श्रद्धावान (११) विवेकवान (१२) क्रियावान (१३) भक्तिवान (१४) निर्लोभी (१५) दयावान (१६) क्षमावान (१७) आनंदपूर्वक दान देना (१८) आदरसहित दान देना (१९) प्रियवचनपूर्वक दान देना…
क्या है—चौदह १४ गुणस्थान — (१) मिथ्यात्व (२) सासादन (३) मिश्र (४) अविरत सम्यग्दृष्टि (५) देशविरत (६) प्रमत्त—विरत (७) अप्रमत्तविरत (८) अपूर्वकरण (९) अनिवृत्तिकरण (१०) सूक्ष्मसांपराय (११) उपशांतमोह (१२) क्षीण मोह (१३) सयोग केवली (१४) अयोग केवली १४ मार्गणा — (१) गति (२) इंद्रिय (३) काय (४) योग (५) वेद (६) कषाय (७) ज्ञान (८)…
(चौबीसी नं. ९) पूर्वधातकीखण्डद्वीप भरतक्षेत्र भविष्यत् तीर्थंकर स्तोत्र अथ स्थापना नारेन्द्र छंद पूर्वधातकीखंड द्वीप में, सुरगिरि दक्षिण जानो। भरतक्षेत्र के भाविकाल में, चौबिस जिनवर मानो।। पंचकल्याणकपति भविजन के, सब कल्याण करे हैं। भक्तिभाव से मैं नित वंदूँ, कल्मष सर्व हरे हैं।।१।। दोहा घात घातिया कर्म को, किया ज्ञान को पूर्ण। नमूँ-नमू नित आपको, करो…
(चौबीसी नं. १०) पूर्वधातकीखण्डद्वीप ऐरावतक्षेत्र भूतकालीन तीर्थंकर स्तोत्र गीता छंद श्री विजयमेरू उत्तरी दिश, क्षेत्र ऐरावत कहा। जो पूर्वधातकी द्वीप में है, कालषट् को धर रहा।। उसके चतुर्थेकाल में जो, भूतकालिक जिनवरा। वंदूँ उन्हें वर भक्ति से, वे हों हमें क्षेमंकरा।।१।। दोहा त्रिभुवनपति त्रिभुवनधनी, त्रिभुवन के गुरु आप। त्रिभुवन के चूड़ामणी, नमू-नमूँ नत माथ।।२।। …