68. उमास्वामी श्रावकाचार तत्त्वार्थसूत्र के कर्ता के द्वारा ही रचित है।
उमास्वामी श्रावकाचार तत्त्वार्थसूत्र के कर्ता के द्वारा ही रचित है। एवं व्रतं मया प्रोक्तं त्रयोदशधैर्युतम्। निरतिचारकंपाल्यं तेऽतीचारास्तु सप्ततिः।।४६३।। अर्थ –इस प्रकार मैंने श्रावकों के तेरह प्रकार के चारित्र का निरूपण किया है। ये तेरहों प्रकार के व्रत अतिचार रहित पालन करने चाहिये। इन सब व्रतोंं के अतिचारों की संख्या सत्तर है। प्रत्येक व्रत के पाँच-पांच…