वीतराग चारित्र
वीतराग चारित्र संकलनकर्त्री- गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी, हिन्दी पद्यानुवादकर्त्री- आर्यिका चंदनामती निश्चयचारित्र किनके होता है ? फडिकमणपहुदिकिरियं, कुव्वंतो णिच्छयस्स चारित्तं। तेण दु विरागचरिए, समणो अब्भुट्ठिदो होदि।।।। (नियमसार गाथा-१५२) -शंभु छन्द- निश्चय नय आश्रय से जो, प्रतिक्रमणादि क्रियाएँ होती हैं। निश्चय चारित्रधारी मुनि के वे, सभी क्रियाएँ होती हैं।। इस हेतु उन्हें ही वीतराग, मुनि की संज्ञा…