सौंफ से होता है कई रोगों का उपाय सौंफ प्रतिदिन घर में प्रयुक्त किए जाने वाले मसालों में एक है। इसका नियमित उपयोग सेहत के लिए लाभदायक है। सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें । इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आंखों की कमजोरी…
ढाईद्वीप में कृत्रिम जिनमंदिर (आदिपुराण से) श्रुत्वेति तद्वचो दीनं करुणाप्रेरिताशयः। मनः प्रणिदधावेवं भगवानादिपूरुषः१।।१४२।। पूर्वापरविदेहेषु या स्थितिः समवस्थिता। साद्य प्रवत्र्तनीयात्र ततो जीवन्त्यमूः प्रजाः।।१४३।। षट्कर्माणि यथा तत्र यथा वर्णाश्रमस्थितिः। यथा ग्रामगृहादीनां संस्त्यायाश्च पृथग्विधाः।।।१४४।। तथात्राप्युचिता वृत्तिरुपायैरेभिरङ्गिनाम्। नोपायान्तरमस्त्येषां प्राणिनां जीविकां प्रति।।१४५।। कर्मभूरद्य जातेयं व्यतीतौ कल्पभूरुहाम्। ततोऽत्र कर्मभिः षड्भिः प्रजानां जीविकोचिता।।१४६।। इत्याकलय्य तत्क्षेमवृत्त्युपायं क्षणं विभुः। मुहुराश्वासयामास भा भैष्टेति तदा प्रजाः।।१४७।।…
विदेह क्षेत्र की सम्पूर्ण नदियाँ बादालसहस्सं पुह कुरुदुणदी दुगुदुपासजादणदी। चोद्दसलक्खडसदरी विदेहदुगसव्वणइसंखा।।७४८।। द्वाचत्वािंरशत्सहस्राणि पृथव् कुरुद्वयनद्यः द्विकद्विपाश्र्वजातनद्यः। चतुर्दशलक्षाष्टसप्ततिः विदेहद्विकसर्वनदीसंख्या।।७४८।। बादाल। देवोत्तरकुर्वोः नदीद्वयोभयपाश्र्वजाता नद्यः पृथव्व् द्वाचत्वारिंशत्सहस्राणि देवकुरुजा नद्यः ४८००० उत्तरकुरुजा नद्यः ८४००० विदेहद्वयगतसर्वनदीसंख्या अष्टसप्तत्युत्तरचतुर्दशलक्षाणि १४०००७८। तत्कथं ? विदेहगतगङ्गासिन्धुसमनदीनां ६४ प्रत्येवं परिवारनद्यः १४००० विभङ्गनदीनां १२ प्रत्येवं परिवारनद्यः २८००० देवोत्तरकुर्वोः सीतासीतोदयोः २ प्रत्येक् परिवारनद्यः ८४००० एतासु स्वस्वगुणकारेण गुणयित्वा तत्र तत्र…
नव द्वीप समुद्रों के रक्षक देवों के नाम आदरअणादरक्खा जंबूदीवस्स अहिवई होंति। तह य पभासो पियदंसणो य लवणंबुरासिम्मि१।।३८।। भुंजेदि प्पियणामा दंसणणामा य धादईसंडं। कालोदयस्स पहुणो कालमहाकालणामा य।।३९।। पउमो पुंडरियक्खो दीवं भुंजंति पोक्खरवरक्खं। चक्खुसुचक्खू पहुणो होंति य मणुसुत्तरगिरिस्स।।४०।। सिरिपहुसिरिधरणामा देवा पालंति पोक्खरसमुद्दं। वरुणो वरुणपहक्खो भुंजंते चारु वारुणीदीवं।।४१।। वारुणिवरजलहिपहू णामेणं मज्झमज्झिमा देवा। पंडुरयपुप्फदंता दीवं भुंजंति चारु खीरवरं।।४२।।…
नाभिगिरि पर जिनमंदिर हेमवदस्स य रुंदा चालसहस्सा य ऊणवीसहिदा। तस्स य उत्तरबाणो भरहसलागादु सत्तगुणा१।।१६९८।। अवसेसवण्णणाओ सरिसाओ सुसमदुस्समेणं पि। णवरि यवट्ठिदरूवं परिहीणं हाणिवड्ढीहि।।१७०३।। तक्खित्ते बहुमज्झे चेट्ठदि सद्दावणि त्ति णाभिगिरी। जोयणसहस्सउदओ तेत्तियवासो सरिसवट्टो।।१७०४।। १०००। १०००। सव्वस्स तस्स इगितीससयाइं तह य बासट्ठी। सो पल्लसरिसठाणो कणयमओ बट्टविजयड्ढो।।१७०५।। एक्कसहस्सं पणसयमेक्कसहस्सं च सगसया पण्णा। उदओ मुहभूमज्झिमवित्थारा तस्स धवलस्स।।१७०६।। १०००। ५००। १०००।…
ध्यान और ध्याता मुनिवरगण ध्यान लगा करके, इन द्विविध मोक्ष के कारण को। जो निश्चय औ व्यवहार रूप, निश्चित ही पा लेते उनको।। अतएव प्रयत्न सभी करके, तुम ध्यानाभ्यास करो नित ही। सम्यक् विधि पूर्वक बार-बार, अभ्यास सफल होता सच ही।।४७।। मुनिराज निश्चित ही ध्यान के द्वारा व्यवहार और निश्चय इन दोनों प्रकार के मोक्ष…
सुदर्शन बलभद्र एवं पुरुषसिंह नारायण भगवान धर्मनाथ के तीर्थ में सुदर्शन बलभद्र एवं पुरुषसिंह नारायण हुए हैं। उनका संक्षिप्त इतिहास कहा जाता है- इसी भरतक्षेत्र के राजगृह नगर में सुमित्र नामक राजा थे, वे बहुत ही अभिमानी थे। किसी समय मल्लयुद्ध में कुशल एक राजसिंह नाम के राजा उस सुमित्र राजा के गर्व को नष्ट…
क्या वीर भगवान हम जैसे साधारण मानव थे? कमल कुमार-गुरूजी ! भगवान महावीर के पच्चीससौवें निर्वाण महोत्सव वर्ष में एक वर्ष तक धर्मचक्र का प्रवर्तन हो रहा था। हमारे गाँव में भी धर्मचक्र का जुलूस निकाला गया था। बहुत ही धर्म प्रभावना हुई थी। गुरूजी ! उस समय कुछ लोग कह रहे थे कि भगवान…