19. माया कषाय
माया कषाय किसी पर्वत पर गुणनिधि मुनि चार महिने का उपवास कर विराजमान थे। उन ऋद्धिधारी मुनि की देवगण स्तुति कर रहे थे। चातुर्मास समाप्त होने पर वे मुनि आकाश मार्ग से विहार कर गये। इधर मृदुगति नाम के दूसरे मुनि उसी क्षण आहार के लिए गाँव में आ गये। श्रावकों ने इन्हें गुणनिधि…