भूमि परीक्षा चउवीसंगुलभूमी खणेवि पूरिज्ज पुण वि सा गत्ता। तेणेव मट्टियाए हीणाहियसमफला नेया।।३।। मकान आदि बनाने की भूमि में २४ अंगुल गहरा खड्डा खोदकर निकली हुई मिट्टी से फिर उसकी खड्डे को पूरे। यदि मिट्टी कम हो जाय, खड्डा पूरा भरे नहीं तो हीन फल, बढ़ जाय तो उत्तम और बराबर हो जाय तो समान…
अथ प्रासाद-प्रकरणं तृतीयम् पढमं गुड्डाविवरं जलंतं अह कक्करंतं कुणहं। कुम्मनिवेसं अट्ठं सुरस्सिला तयणु सुत्तविही।।२।। प्रसाद करने की भूमि में इतना गहरा खात खोदना कि जल आजाय अथवा कंकरवाली कठिन भूमि आ जाय। पीछे उस गहरे खोदे हुए खात में प्रथम मध्य में कूर्मशिला स्थापित करना, पीछे आठों दिशा में आठ खुरशिला स्थापित करना। इसमे बाद…
वत्स चक्र तं जहा—कन्नइत्तिणे पुव्वे वच्छो वह दहिणे धणाइतिगे। पश्छिमदिसि मीणतिगे मिहुणतिगे उत्तरे हवइ।।१९।। जब सूर्य कन्या, तुला और वृश्चिक राशि का होवे तब वत्स का मुख पूर्व दिशा में, धनु, मकर और कुम्भ राशि का सूर्य होवे तब वत्स का मुख दक्षिण दिशा में, मीन, मेष और वृष राशि का सूर्य होवे तब वत्स…
बिम्ब परीक्षा प्रकरण द्वार गाथा— इअ गिहलक्खण भावं भणिय भणामित्थ बिंबपरिमाणं। गुणदोसलक्खणाइं सुहासुहं जेण जाणिज्जा१।।१।। प्रथम गृहलक्षण भाव को मैंने कहा। अब बिम्ब (प्रतिमा) के परिमाण को तथा इसके गुणदोष आदि लक्षणों को मैं (पेâरु) कहता हूँ कि जिससे शुभाशुभ जाना जाय।।१।। मूर्ति के स्वरूप में वस्तु स्थिति— छत्तत्तयउत्तारं भावकवोलाओ सवणनासाओ। सुहयं जिणचरणग्गे नवग्गहा जक्खजक्खिणिया।।२।।…
प्रतिष्ठादिक के मुहूर्त आरंभसिद्धि, दिनशुद्धि, लग्नशुद्धि, मुहूर्त चिन्तामणि, मुहूर्त मार्तण्ड, ज्योतिष—रत्नमाला और ज्योतिष हीर इत्यादि ग्रंथों के आधार से नीचे के सब मुहूर्त लिखे गये हैं । संवत्सरादिक की शुद्धि— संवत्सरस्य मासस्य दिनस्यक्र्षस्य सर्वथा। कुजवारोज्झिता शुद्धि: प्रतिष्ठायां विवाहवत्।।१।। िंसहस्थ गुरु के वर्ष छोड़कर वर्ष, मास, दिन, नक्षत्र और मंगलवार को छोड़कर दूसरे वार, इन सब…
तैयारी जीत की 1.जो विश्वास घात को चतुरता का पर्यायवाची समझता है वह शातिर दिमाग का इंसान नहीं शैतान है। (एलाचार्य मुनि वसुनंदी जी) 2.सम्मान की अपेक्षा रखना ही अपमान का प्रारम्भ है। दोस्ती दुश्मनी के साथ छिपकर आती है। (आर्यिका गुरुनंदनी माताजी) 3.चिन्ता उसे होती है जिसे ईश्वर पर पुरुषार्थ और अपने भाग्य पर…
नामाक्षर में छिपा व्यक्तित्व और भविष्य प्रिय पाठक बंधुओं ! आज के भौतिक युग में प्रत्येक व्यक्ति परेशान होकर मंत्र- तंत्रवादी एवं ज्योतिषियों के चक्कर लगाता है । ऐसे समय में हमारे जैनाचार्य तो कर्मसिद्धान्त के विशेष रहस्य को समझाकर सभी को अपने- अपने शुभ- अशुभ कर्मों पर विश्वास रखने की प्रेरणा प्रदान करते हैं…
दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी एक सफरनामा ( सन् १९०२ से सन् २०१३ तक )