हस्तिनापुर में वीर निर्वाण सं. २५०३ , सन् १९७७ में ” मनोवती की दर्शन कथा ” के आधार पर लिखा गया यह रोमांचक उपन्यास है | पूज्य गणिनीश्री ज्ञानमती माताजी द्वारा लिखित इस उपन्यास को पढकर देवदर्शन करने की प्रेरणा प्राप्त होती है ,साथ ही यह ज्ञात होता है कि एक छोटे से नियम का दृढतापूर्वक पालन करने से सब कार्यों की सिद्धि स्वयमेव हो जाती है |
वीर नि. सं. २५०४,सन् १९७९ में परम पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी ने यह उपन्यास लिखा | पद्मपुराण के आधार से उपन्यास की शैली में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी एवं सीताजी का जीवनवृत्त प्रस्तुत किया गया है |
इस पुस्तक में पूज्य माताजी ने भगवान शांतिनाथ के पूर्व भवों का वर्णन प्रस्तुत किया है | साथ ही उनके जन्म से वैराग्य्य तक का इतिहास , शांतिनाथ हिन्दी पद्यानुवाद आदि पुस्तक में समाहित है |