मुनिचर्या पढ़ें
जम्बूद्वीप – हस्तिनापुर तीर्थ पर वी. नि. सं. २५१७ . वैशाख कृष्णा द्वितीया सन् १९९१ में यह ग्रन्थ पूर्ण किया | मुनि – आर्यिकाओं की नित्य – नैमित्तिक क्रियाओं संबंधी अनेक ग्रंथों का प्रकाशन विभिन्न स्थानों से समय- समय पर हुआ है , किन्तु वे भक्तियाँ आदि संस्कृत – प्राकृत में हैं , जिनका अर्थ बहुत त्यागी वर्ग समझ पाते थे | इस कमी की पूर्ति पूज्य माताजी ने की | सभी भक्तियों का एवं दैनिक व पाक्षिक प्रतिक्रमण पाठों का हिन्दी में पद्यानुवाद कर दिया है, उसी का यह प्रकाशन है | अब इस पाठों को पढ़ने वाले प्रत्येक साधु को यह सहज रूप में समझ रूप में समझ में आ जावेगा कि वे क्या पढ़ रहे हैं | दिगंबर मुनि आर्यिकाओं के लिए यह ग्रन्थ विशेष रूप से उपयोगी है | इसके द्वितीय और तृतीय संस्करण भी सन् २००९ में प्रकाशित हो चुके हैं |